पाठक मर कर भी जो अमर है के अनुसार चंद्रशेखर आजाद किस प्रकार शहीद हुए घटना का विवरण अपने शब्दों में लिखिए
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¿ पाठ 'मरकर भी जो अमर है के अनुसार चंद्रशेखर आजाद किस प्रकार शहीद हुए? घटना का विवरण अपने शब्दों में लिखिए।
✎... चंद्रशेखर आजाद स्वाधीनता भारत की स्वाधीनता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे मरते दम तक भारत की स्वाधीनता के लिए लड़ते रहे। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण अंग्रेज सरकार हमेशा उनको पकड़ने की फिराक में रहती थी। इस कारण उन्हें जगह-जगह अंग्रेजों से छुप छुप कर भटकना पड़ता था और अपनी पहचान छुपा कर रहना पड़ता था। वह इलाहाबाद में अपनी पहचान छुपा कर रहे थे।
27 फरवरी 1931 को एक दिन वे इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में बैठे हुए थे। 27 को एक पुलिस अधिकारी विश्म्भनाथ सिंह ने उन्हें पहचान लिया। उसने पुलिस अधीक्षक नाटबावर को इसकी सूचना दे दी। वो अपने दल के साथ आजाद को पकड़ने के लिए अल्फ्रेड पार्क आ गया। उसने चारों तरफ से पार्क को घेर लिया और चंद शेखर आजाद पर गोलियां चलाने लगा। आजाद ने भी अपनी तरफ से गोलियां चलाई। दोनों तरफ से गोलीबारी होने लगी अकेले चंद्रशेखर आजाद कब तक इतने बड़े दल बल के साथ लड़ते। उन्होंने अपने साथी सुखदेव को किसी तरह वहां से हटाया और अकेले ही लड़ने लगे। एक गोली उनकी टांग में लगी अब वह बुरी तरह घिर चुके थे, और चलने लायक भी नहीं थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, उनकी एक गोली ने अंग्रेजों के पुलिसवाले विशंभरनाथ का जबड़ा तोड़ दिया और दूसरी गोली पुलिस अधिकारी नाटबावर की कलाई पर लगी।
धीरे-धीरे चंद्रशेखर आजाद की सारी गोलियां खत्म हो गई और केवल एक ही गोली बची। तब उन्होंने अंग्रेजों के सामने जिंदा पकड़ने की जगह अपनी जीवन लीला स्वयं ही समाप्त करने की सोचा और आखरी गोली अपनी कनपटी पर दाग दी। उन्होंने अंग्रेजों के अपवित्र हाथों को अपने जीवित रहते अपने शरीर को हाथ नहीं लगाने दिया और भारत की स्वाधीनता संग्राम के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की बलि दे दी। आज इलाहाबाद में वह अल्फ्रेड पार्क शहीद पार्क के नाम से जाना जाता है।
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चन्द्रशेखर 'आजाद (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे।