पाठला गद्यांशी
गोलगोत गयाशं पाठला
गद्यांशी पुन्तान उसष्ट- काव्ययवदान पता लिखत
उपठार जगत
पवार रातस्मा खडा सा स्वाज ईन्दी
वरळा मागता यायुः ताश्चळ पृष्टता सेन
का उनकताएं साधुः प्रयले कृतठाना उथायाः पारः आस्त यत सद वृश्य
गाणातारे एट, स्पायुः प्रासात रासा सर्तता एप
वाटा तानही पताके खा वृत्तः आणता
जीत तस्य अपि
ताह
समाळ य व्याजमामा
माधा, हस्तम् अदशा साधु त त्यस्तान। वृश्चिका ले अपतलापन, साय,
सुन, पतु भूत्वा शनस्य स्तपातन ल्पणा
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Answer:
- प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत सामग्री में ही निहित रहते हैं इसलिए गद्यांश को दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ें।
- उत्तर लिखते समय सरल, सुबोध तथा सहज भाषा का प्रयोग करें।
- पूछे गए प्रश्नों में अंतर्निहित उद्देश्य को समझकर ही प्रश्नों के उत्तर खोजें।
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