Hindi, asked by tanvir4055, 10 months ago

पौधों की किस्मों को कैसे सुधारा जा सकता है

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Answered by missmaahi10
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Answer:

<font color= "blue">Hey mate answer of your question is given below by me...

Explanation:

बीज की आनुवांशिक शुद्धता का तात्पर्य बीज किस्म में निहित उन विशिष्ट लक्षणों से है, जिनके कारण इस किस्म को विशेष नाम से पहचाना जाता है जैसे किस्म की जीनी संरचना, पौधे की ऊंचाई, रोगरोधिता और कीट रोधी-गुण, पादप, तना और पत्तियों का आकार-प्रकार, पुष्प। पुष्प क्रम, बाली, फल आदि का रूप रंग और गठन, फसल अवधि या परिपक्वता, बीज/दाने का आकार-प्रकार, रंग, गठन, भार उत्पादन-क्षमता आदि। बीज उत्पादन के दौरान इन सभी किस्म संबंधी लक्षणों का अनुरक्षण किया जाता है। फिर भी यह उल्लेखनीय है कि यदि उत्पादित बीज ढेर अपने किस्म संबंधी लक्षणों का अनुरक्षण किया जाता है। फिर भी यह उल्लेखनीय है कि यदि उत्पादित बीज ढेर अपने किस्म संबंधी लक्षणों के अनुरूप होता है तो उसे उच्च आनुवांशिक शुद्धता वाला बीज ढेर कहा जाता है और यदि उक्त ढेर के अधिकांश बीज/पौधे आनुवांशिक लक्षणों से मेल नहीं खाते तो बीज की आनुवांशिक शुद्धता को असंतोषजनक कहा जाता है। उन्नत बीज किस्मों के प्रसार से अपेक्षित परिणामों को प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि इन किस्मों का शुद्ध बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाये। आनुवांशिक रूप से शुद्ध बीज के अभाव का फसल उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा उपज कम होती है।

विकास के दौरान विभिन्नताएं

विभिन्न परिस्थितियों में एक ही किस्म की वृद्धि अनुक्रिया भिन्न-भिन्न हो सकती है जैसे भिन्न जलवायु, मृदा दशाओं, दीप्तिकालों में पादप वृद्धि में विभिन्नताएं पाई जाती हैं। इन परिवर्तनों का मुख्य कारण संबंधित किस्म का नए वातावरण में अनुकूलित होना है। इस प्रकार के परिवर्तनों को न होने देने के लिये प्रदत्त किस्म को उसके अनुकूलित क्षेत्र में ही उगाना चाहिये।

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