'पौधे के पंख' शीर्षक की साथर्कता स्पष्ट कीजिए।
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‘पौधे के पंख’ पाठ ‘शशिप्रभा प्रभाकर’ द्वारा लिखा गया एक संस्मरण है। इस पाठ का शीर्षक लेखक ने पौधे के पंख इसलिए रखा क्योंकि पौधे को देखभाल की आवश्यकता होती है। लेकिन पंखों वाला पक्षी स्वतंत्र होता है और वो कहीं भी विचरण कर सकता है।
लेखक का जीवन पौधे के पंख के समान ही है अर्थात वह बड़ा तो हो गया है और पक्षी की तरह स्वतंत्र विचरण करना चाहता है, लेकिन उसकी देखभाल पौधे की तरह की जाती है। इस कारण वह अपनी आयु के अनुरूप गुणों को विकसित नहीं कर पाया है। वह कहानी के दूसरे पात्र श्रीधर की समान आयु के होने के बावजूद भी गुणों में उससे कम है। इससे लेखक के मन में हीन भावना उत्पन्न हो जाती है।
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