पौधों में रसाकर्षण के पांच महत्व
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परिचय
पौधे जड़ द्वारा भूमि से पानी एवं पोषक तत्व, वायु से कार्बन पौषक तत्वों के कार्य डाई आक्साइड तथा सूर्य से प्रकाश ऊर्जा लेकर अपने विभिन्न भागों का निर्माण करते है।
पोषक तत्वों को पौधों की आवश्यकतानुसार निम्न प्रकार वगीकृत किया गया है।
मुख्य पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश।
गौण पोषक तत्व- कैल्सियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक।
सूक्ष्म पोषक तत्व- लोहा, जिंक, कॉपर, मैग्नीज, है। मोलिब्डेनम, बोरान एवं क्लोरीन।।
पौधों में आवश्यक पोषक तत्व
पौधों के सामान्य विकास एवं वृद्धि हेतु कुल 16 पोषक तत्वोंकी आवश्यकता होती है। इनमें से किसी एक पोषक तत्व की कमी होने पर पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और भरपूर फसल नहीं मिलती।
कार्बन, हाइड्रोजन व आक्सीजन को पौधे हवा एवं जल से प्राप्त करते हैं।
नाइट्रोजन, फस्फोरस एवं पोटैशियम को पौधे मिट्टी से प्राप्त करते है। इनकी पौधों को काफी मात्रा में जरूरत रहती है। इन्हे प्रमुख पोषक तत्व कहते है।
कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक को पौधे कम मात्रा में ग्रहण करते है। इन्हें गौण अथवा द्वितीयक पोषक तत्त्व कहते है।
लोहा, जस्ता, मैंगनीज, तांबा, बोरोन, मोलिब्डेनम और क्लोरीन तत्वों की पौधों को काफी मात्रा में आवश्यकता पडती है। इन्हे सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहते है।
पोषक तत्वों के कार्य
नाइट्रोजन
सभी जीवित ऊतकों यानि जड़, तना, पत्ति की वृद्धि और विकास मे सहायक है।
क्लोरोफिल, प्रौटोप्लाज्मा, प्रोटीन और न्यूक्लिक अम्लों का एक महत्वपूर्ण अवयव है।
पत्ती वाली सब्जियों और चारे की गुणवत्ता में सुधार करता है।
फास्फोरस
पौधों के वर्धनशील अग्रभाग, बीज और फलों के विकास 1. हेतु आवश्यक है। पुष्प विकास में सहायक है।
कोशिका विभाजन के लिए आवश्यक है। जड़ों के विकास में सहायक होता है।
न्यूक्लिक अम्लों, प्रोटीन, फास्फोलिपिड और सहविकारों ।
अमीनों अम्लों का अवयव है।
पोटेशियम
एंजाइमों की क्रियाशीलता बढाता है।
ठण्डे और बादलयुक्त मौसम में पौधों द्वारा प्रकाश के उपयोग में वृद्धि करता है, जिससे पौधों में ठण्डक और अन्यप्रतिकूल परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है।
कार्बोहाइड्रेट के स्थानांतरण, प्रोटीन संश्लेषण और इनकी स्थिरता बनाये रखने में मदद करता है।
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