"पेड़ अब भी आदिवासी हैं" इस कविता की व्याख्या कीजिये
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"पेड़ अब भी आदिवासी हैं" इस कविता की व्याख्या :
"पेड़ अब भी आदिवासी हैं कविता में पेड़ की महत्व पर उम्र के बारे बताया है | सालों साल बीत जाते , पेड़ फिर भी अजूबे ही रहते है | वह हमेशा एक जैसे ही रहते है | कभी वह पत्तियां पहन लेते है और कभी बीना पत्ते के रहते है | पेड़ की कोई जात नहीं होती है , वह आदिवासी है | पेड़ कहीं भी रहे , वह हमेशा सब की मदद करते है | सब को छाया और फल देते है | पेड़ साफ दिल के होते है , पेड़ की फूल-पत्तियाँ बोलती है | ऋतुएं आती है और जाती है | लोगों के काटे जाने पर उदास होता है , पीड़ित रहता है , कभी उदास रहता , पेड़ अभी आदिवासी है |
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