पेड़ की आत्मकथा in hindi for essay
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बहुत सालों पहले एक बच्चे ने मेरा बीज बोया था कुछ धुंधली धुंधली से आते हैं दिन बहुत सुहाना था उसके कुछ महीनों बाद मेरा अंकुर फूटा और कुछ सालों बाद मैं एक पौधा बना पौधे से पेड़ बनने तक का सफर बहुत लंबा था मैंने कई दृश्य देखे यहां तक कि मैंने मेरे मालिक की मृत्यु भी देखी मेरे मालिक का पोता मेरे फल खाया करो मेरे फूल थोड़ा करता था तब मुझे बहुत दर्द होता था परंतु मैं खुश होता था जब वह हर दिन मुझे पानी देता था उसके बहुत सालों बाद मैं एक बड़ा वृक्ष बन गया और मालिक के पोते का बेटा मेरे साथ खेला करता था मेरी डालियों पर झूला करता था तथा मेरे फल खाया करता था मेरी छांव में सोया करता था जब जब बड़ा हुआ तो उसने यह जमीन किसी और को बेच दी और मेरे नहीं मालिक ने मुझे बेरहमी से काट दिया और फिर उसके बाद मुझे एक लकड़ी की फैक्ट्री में भेज दिया गया जहां जहां में टेबल कुर्सी मेज पलंग अभी चीजों में मेरी लकड़ी काम आ गई
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