पेड़ नहीं तो हम नहीं इस विषय पर विज्ञापन तैयार केरे
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पर्यटन नगरी कौसानी की सड़कों और गलियों के किनारे खड़े पेड़ विज्ञापन का जरिया बन गए हैं। स्वार्थी लोगों और संस्थानों ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए पेड़ों पर अपने विज्ञापन वाले बोर्ड, बैनर टांग दिए हैं। इन्हें टांगने के लिए पेड़ों में मोटी-मोटी कीलें ठोक दी गई हैं। इस वजह से वर्षों पुराने पेड़ भी सूख रहे हैं।
हैरत की बात है कि पेड़ों पर विज्ञापन टांगने वाले कोई जाहिल और नासमझ लोग नहीं हैं। ऐसा करनेवालों में कई शैक्षणिक संस्थान और शहर के नामी-गिरामी व्यवसायी भी शामिल हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि पेड़ों पर कीलें ठोककर वे उन्हें और अपने पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दूसरों को वे पेड़ों को नुकसान पहुंचाने के दुष्परिणामों के बारे में बताते हैं, लेकिन खुद उन बातों पर अमल नहीं करते। स्वार्थ ने उनके सोचने-समझने की शक्ति कम कर दी है। व्यापर मंडल जिला अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता बबलू नेगी ने बताया कि लोगों ने लोहे की कीलों के सहारे भारी विज्ञापन बोर्ड पेड़ों से टांगे हैं। जिसके लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं है। इससे पेड़ों के सूखने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों से पर्यटन नगरी की छवि को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने प्रशासन से इस तरह की गतिविधियों को रोकने की मांग की है।