पेड़ पौधे और पर्यावरण पर निबंध लेखन संकेत बिंदु 1 भूमिका 2 वन संपदा का विकास 3 प्रदूषण के प्रकार 4 पेड़ पौधे और पर्यावरण का संबंध 5 उपसंहार
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पर्यावरण हमारे देश या फिर कह सकते हैं संपूर्ण जगत् इस परेशानी से जूझ रहा है कि पर्यावरण की संरक्षण कैसे की जाए क्योंकि पर्यावरण अगर इतना दूषित हो जाएगा इतना हानिकारक हो जाएगा तो इंसान रहेगा कहां पर इंसान का जीना मुश्किल हो जाएगा इस धरती पर अगर पर्यावरण खराब हो गया और इसका मुख्य वजह है माफ कीजिएगा इसकी मुख्य वजह है पेड़ पौधों को काटना उखाड़ना और दोबारा ना लगाना
वन संपदा अगर हम लोग विकसित नहीं करेंगे तो इस दुनिया को नष्ट होने से दुनिया में कोई भी नहीं बचा सकता चाहे वह स्वयं खुदा परमात्मा भगवान क्यों ना हो क्योंकि वह भी यही कहते हैं जैसा करनी जैसे कर्म करोगे वैसे तुम को मिलेंगे इसीलिए इंसान को पर्यावरण की रक्षा अवश्य करनी चाहिए और उसका जो एकमात्र उपाय है पेड़ पौधे और पर्यावरण की रक्षा पेड़ पौधों को उगाना और वन संपदा का विकास करना आज के दौर में इंसान को हर चीज की इतनी आवश्यकता है जिसका कोई नापने की कोई सीमा ही नहीं है और उस वजह से इंसान पूरी वन संपदा को खत्म करता जा रहा है बिना किसी संकोच के सब कुछ करते जा रहा है और फिर खुद ही कहता है कि पर्यावरण दूषित हो गया है अब क्या करें इंसान हर चीज से पौधों से प्राप्त करता है और इन्हीं चीजों को हरता है इन्हीं चीजों को दबा करता है इंसान को यह सीखना होगा कि इन चीजों से फायदा होता है इस वायदे को हमारी अगली पीढ़ियां भी ले पाए हम इन चीजों को भूख के आगे चलकर इसीलिए इंसान का विकास करना अत्यावश्यक है।प्रदूषण एक ऐसी चीज है जो आज के युग में सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है इस चीज का कोई हल नहीं निकाल पा रहा है प्रदूषण आजकल हर चीज में है दुनिया की हर चीज में प्रदूषण बसा हुआ है जैसे जल का प्रदूषण हवा का प्रदूषण धरती में प्रदूषण है और ध्वनि प्रदूषण
Explanation:
पेड़-पौधे प्रकृति की सुकुमार, सुन्दर, सुखदायक सन्तानें मानी जा सकती हैं। इन के माध्यम से प्रकृति अपने अन्य पुत्रों, मनुष्यों तथा अन्य सभी तरह के जीवों पर अपनी ममता के खजाने न्योछावर कर अनन्त उपकार किया करती है। स्वयं पेड़-पौधे भी अपनी कति माँ की तरह ही सभी जीव-जन्तुओं का उपकार तो किया ही करते हैं। उनके सभी करके अभावों को भरने, दूर करने के अक्षय साधन भी हैं। पेड़-पौधे और वनस्पतियाँ हमें फल-फूल, औषधियाँ, छाया एवं अनन्त विश्राभ तो प्रदान किया ही करते हैं, वे उस प्राण-वायु (ऑक्सीजन) का अक्षय भण्डार भी हैं कि जिस के अभाव में किसी प्राणी का एक पल के लिए जीवित रह पाना भी नितान्त असंभव है।
पेड-पौधे हमारी ईंधन की समस्या का भी समाधान करते हैं। उनके अपने आप झड़ कर इधर-उधर बिखर जाने वाले पत्ते घास-फूस, हरियाली और अपनी छाया में अपने पनपने वाली नई वनस्पतियों को मुफ्त की खाद भी प्रदान किया करते हैं। उनमें हमें इमारती और फर्नीचर बनाने के लिए कई प्रकार की लकड़ी तो प्राप्त होती ही है, कागज आदि बनाने के लिए कच्ची सामग्री भी उपलब्ध हुआ करती है। इसी प्रकार पेड़-पौधे हमारे पर्यावरण के भी बहुत बड़े संरक्षक हैं। पेड़-पौधों की पत्तियों और ऊपरी शाखाएँ सूर्य किरणों के लिए धरती के भीतर से आर्द्रता या जलकण चोषण करने के लिए पान-नलिका (straw) का काम करते हैं। यों सूर्य-किरणें भी नदियों और सागर से जल-कणों का शोषण कर वर्षा का कारण बना करती हैं, पर उस से भी अधिक यह कार्य पेड़-पौधे किया करते हैं।