पेड़ - पौधों और पशु - पक्षियों के संबंध में लेखक की माँ क्या - क्या कहती थीं? 'अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले ' पाठ के आधार पर लिखिए
Answers
Answer:
1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर-
अरब में नूह नाम के एक पैगंबर थे जिनका असली नाम लशकर था। वे अत्यंत दयालु और संवेदनशील थे। एक बार एक कुत्ते को उन्होंने दुत्कार दिया। उस कुत्ते का जवाब सुनकर वे बहुत दुखी हुए और उम्र भर पश्चाताप करते रहे। अपने करुणा भाव के कारण ही वे ‘नूह’ के नाम से याद किए जाते हैं।
प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर-
लेखक की माँ पशु-पक्षियों के प्रति ही नहीं पेड़-पौधों के प्रति भी संवेदनशील थीं। वे सूरज छिपने के बाद पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थी। उनका मानना था कि ऐसा करने पर पेड़ों को दुख होगा और वे रोते हुए बद्दुआ देते हैं।
प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन को क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम बहुत ही भयंकर हुआ; जैसे-
विनाशकारी समुद्री तूफ़ाने आने लगे।
अत्यधिक गरमी पड़ने लगी।
असमय बरसातें होने से जन-धन और फ़सलें क्षतिग्रस्त होने लगीं।
आधियाँ और तूफ़ान आने लगीं।
नए-नए रोग उत्पन्न हो गए, जिससे पशु-पक्षी असमय मरने लगे।
प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर-
लेखक की माँ धार्मिक विचारों वाली महिला थी। वे मनुष्य से ही नहीं पशु-पक्षियों तक से प्रेम करती थीं। उनके घर की दालान में कबूतर ने दो अंडे दिए थे। उनमें से एक अंडा बिल्ली ने गिराकर फोड़ दिया था। दूसरा अंडा सँभालते समय उनके हाथ से टूट गया। अंडा टूटने का पछतावा करने के लिए उन्होंने पूरे दिन का रोज़ा रखा।
प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक अनेक बदलाव देखे-
उसके देखते-देखते बहुत सारे पेड़ कट गए।
नई-नई बस्तियाँ बस गईं।
चौड़ी सड़कें बन गईं।
पशु-पक्षी शहर छोड़कर भाग गए। जो बच गए उन्होंने जैसे-तैसे यहाँ-वहाँ घोंसला बना लिया।
प्रश्न 6.
डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
डेरा डालने का आशय है-अपने रहने की व्यवस्था करना। जिस तरह मनुष्य जब कहीं बाहर जाता है तो अपने रहने का ठिकाना बनाता है। इसी प्रकार पक्षी भी रहने और अंडे देने तथा बच्चों की देखभाल के लिए डेरा डालते हैं।
प्रश्न 7.
शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?
उत्तर-
शेख अयाज़ के पिता अत्यंत दयालु और सहृदय व्यक्ति थे। एक बार वे कुएँ से स्नान करके लौटे और भोजन करने बैठ गए। अचानक उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्होंने भोजन वहीं छोड़ दिया और उसे छोड़ने उसके घर (कुएँ के पास) चल पड़े ताकि उस बेघर को उसका घर मिल सके।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
बढ़ती हुई आबादी ने पर्यावरण पर अत्यंत विपरीत प्रभाव डाला। ज्यों-ज्यों आबादी बढ़ी त्यों-त्यों मनुष्य की आवास और भोजन की जरूरत बढ़ती गई। इसके लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की गई ताकि लोगों के लिए घर बनाया जा सके। इसके अलावा सागर के किनारे अतिक्रमण कर नई बस्तियाँ बसाई गईं । इन दोनों ही कार्यों से पर्यावरण असंतुलित हुआ। इससे असमय वर्षा, बाढ़, चक्रवात, भूकंप, सूखा, अत्यधिक गरमी एवं आँधी-तूफ़ान के अलावा तरह-तरह के नए-नए रोग फैलने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी ने पर्यावरण में जहर भर दिया।
प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर-
पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट होने से पक्षी यहाँ-वहाँ शरण लेने को विवश हुआ। लेखक के फ्लैट के रोशनदान में दो कबूतरों ने अपना डेरा जमा लिया और उसमें अंडे दे दिए उन अंडों से बच्चे निकल आए थे। छोटे बच्चों की देखभाल के लिए कबूतर वहाँ बार-बार आया-जाया करते थे। इस आवाजाही में कई वस्तुएँ गिरकर टूट जाती थीं। इसके अलावा वे लेखक की पुस्तकें और अन्य वस्तुएँ गंदी कर देते थे। कबूतरों से होने वाली परेशानी से बचने के लिए लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।
प्रश्न 3.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर-
समुद्र के गुस्से की वजह थी-बिल्डरों की लालच एवं स्वार्थपरता। बिल्डरों ने लालच के कारण सागर के किनारे की भूमि पर बस्तियाँ बसाने के लिए ऊँची-ऊँची इमारतें बनानी शुरू कर दीं। इससे समुद्र का आकार घटता गया और वह सिमटता जा रहा था। मनुष्य के स्वार्थ एवं लालच से समुद्र को गुस्सा आ गया। उसने अपने सीने पर दौड़ती तीन जहाजों को बच्चों की गेंद की भाँति उठाकर फेंक दिया जिससे वे औंधे मुँह गिरकर टूट गए। ये जहाज़ पहले जैसे चलने योग्य न बन सके।
प्रश्न 4.
‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान’
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि सब प्राणियों की रचना अनेक तरह की मिट्टियों से हुई है, पर ये मिट्टियाँ आपस में मिलकर अपनी स्वाभाविकता रंग-गंध आदि खो चुकी हैं। अब वे सब मिलकर एक हो चुकी हैं। अब किस व्यक्ति में कौन-सी किस्म की मिट्टी कितनी है, इसकी पहचान कैसे की जाए। इसी तरह मनुष्य में भी सद्गुणों और दुर्गुणों का मेल है। किसमें कितना सद्गुण है और कितना दुर्गुण है यह कह पाना कठिन है।