India Languages, asked by palaksaw64, 5 months ago

पेड़ पक्षियों और जीवो के आश्रय स्थल है |संस्कृतभाषायाम अनुवाद कुरूत​

Answers

Answered by shravanifulpatil
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Explanation:

जालंधर। घायल व बीमार पंछियों को यूं मरने के लिए सड़क किनारे मत फेंकिए। ये मासूम बोल तो नहीं सकते, लेकिन ये बेजुबान परिंदे प्यार और अहसास की भाषा को भलीभांति समझते हैं। तभी तो इनके घायल व बीमार होने पर इलाज का पहला कदम ही यही है कि इन्हें शांतमय वातावरण में रखा जाए। शांत जगह पर रहने से ये खुद को महफूज समझते हैं। और यहीं बात ही इनके ठीक होने में सहायक होती है। यह कहना है पक्षियों का अस्पताल चला रही संस्था ‘आश्रय’ के संस्थापक संजीव खन्ना का। वह पिछले दो साल से वसंत विहार स्थित अपने घर में ही पक्षियों का अस्पताल चला रहे हैं। संजीव खन्ना बताते हैं कि उनका बचपन छत्तीसगढ़ के जंगलों में गुजरा है। उन्हें चिड़ियों से खासतौर पर लगाव है। 1992 में वह छत्तीसगढ़ से जालंधर आ गए। पेशे से इंजीनियर और सर्वेयर होने के कारण जब भी वह फील्ड में किसी घायल पक्षी को देखते तो उसका इलाज करवाने के लिए सरकारी अस्पताल जाते। वेटरनरी अस्पतालों में पक्षियों के इलाज के लिए सहुलियतें न होने के कारण अक्सर इलाज से महरूम पक्षी उनके हाथों में ही दम तोड़ जाते। यही बात संजीव खन्ना को काफी खलती थी। इसके चलते उन्होंने अपनी डाक्टर पत्नी अल्का खन्ना और एक दोस्त वेटरनरी डा. अमरजीत मुलतानी के सहयोग से 2010 में आश्रय संस्था शुरू की। घर पर ही पक्षियों के इलाज के लिए अस्पताल भी खोला। उनका बेटा कनव और बेटी वाणी भी पक्षियों की देखभाल में पूरा सहयोग देते हैं। पक्षियों के प्रति उनके योगदान को देखते हुए पीपुल्स फॉर एनिमल संस्था की चेयरपर्सन मेनिका गांधी की तरफ से भी उन्हें भरसक सहयोग मिल रहा है। पर्यावरण की संभाल करते हैं पक्षीत्न संजीव खन्ना बताते हैं कि पक्षी पर्यावरण की संभाल में सबसे ज्यादा सहयोग देते हैं। पक्षी पेड़ लगाने में बहुत ज्यादा सक्रिय होते हैं। पक्षी पीपल का फल खाने के बाद जहां बिट करते हैं, वहीं पर पीपल के बीज अंकुरित हो जाते हैं और पेड़ उग आता है। सिर्फ यहीं नहीं पक्षी किसी भी पौधे का फल खाने के बाद कहीं भी बिट कर दे तो वहां पेड़ उग आता है। एक व्यक्ति अपने जीवन काल में चार या पांच से ज्यादा पेड़ नहीं लगाता, जबकि पक्षी अपने जीवन में सैकड़ों की गिनती में पेड़ लगाते हैं। सर्दियों में ज्यादा बीमार होते हैं पक्षी संजीव खन्ना बताते हैं कि गर्मियों की बजाय सर्दियों में पक्षी बीमार व घायल ज्यादा होते हैं। इसका मुख्य कारण डोर व बिजली की तारें हैं। उनके अस्पताल में पांच ऐसे पंछी हैं जो पिछले दो साल उनके अस्पताल में है। ये पक्षी डोर से घायल होने के कारण अपाहिज हो चुके हैं। पक्षियों का शरीर इतना नाजुक होता है कि एलोपैथिक दवाई उनके लिए काफी नुकसानदायक होती है। इसलिए उनका इलाज होम्योपैथिक दवाइयों से किया जाता है। सर्दियों में पक्षी विटामिन डिफिशिएंसी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इनका इलाज भी उसी मुताबिक किया जाता है। उनके पास महीने में 15 से 20 घायल पक्षी इलाज के लिए आते हैं। बारिश व तूफान आदि के मौसम के बाद घायल पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है। इसके अलावा लुधियाना, नकोदर, भोगपुर आदि जगहों से भी लोग पक्षियों को इलाज के लिए भेजते हैं। उनके पास तोता, मैना, कौआ, चील, बुलबुल, नीलकंठ, डव, कबूतर, चिड़िया आदि कई पक्षी इलाज के लिए आते हैं। इनके लिए 24 घंटे मेडिकेटेड वाटर और आहार का प्रबंध भी आश्रय संस्था ही करती है। फसलों की कटाई के सीजन में पंछियों के लिए दस किलो चारा लगता है और ऑफ सीजन में यही चारा 40 किलो तक लगता है।

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Answered by ashishtrivedi761993
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Answer:

pad pachiyo aur jivo ke ashra sthal h

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