पीड़कनाशी क्या है इनका अधिक उपयोग क्यों हानिकारक है
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पीड़कनाशी एक तरह के संश्लेषित रसायन होते हैं। इन रसायनों का प्रयोग कृषि कार्य में फसलों-पौधों को हानिकारक कीटों तथा कई पौधे संबंधी रोगों से बचाने के लिए किया जाता है।
पीड़कनाशी जिन्हें हम आम तौर पर पेस्टिसाइड्स के नाम से जानते हैं, यह रसायन पौधों को हानि पहुंचाने वाले कीड़ों, कवकों, सूत्रकृमियों, कृन्तकों तथा खरपतवार आदि को नष्ट करने हेतु काम में लाये जाते हैं।
पीड़कनाशी को इनके प्रयोग के आधार पर कई तरह के वर्गों में बांटा गया है, जैसे, कवकनाशी, कीटनाशी, सूत्रकृमिनाीस, शाकनाशी तथा खरपतवारनाशी आदि।
पीड़कनाशी के उदाहरण जैसे....एल्ड्रिन, डाइएल्ड्रिन, बीएचसी आदि हैं।
पीड़कनाशी का अधिक उपयोग इसलिये हानिकारण है, क्योंकि यह विषैले रसायन होते हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक होते हैं। यह पीड़कनाशी रसायन जल में अघुलनशील होते हैं तथा जैव-अनिम्नीकरण होते हैं, इस कारण यह पौधों और फसलों के माध्यम से मनुष्य के भोजन में चले जाते हैं और मनुष्य के शरीर में पहुंचकर कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं। अत्यधिक मात्रा में पीड़कनाशी का उपयोग करने से इनका पौधों के माध्यम से मनुष्य के शरीर में पहुंचने की संभावना अधिक हो जाती है, इसलिए पीड़कनाशी का समुचित उपयोग करना ही ठीक रहता है।
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पीड़कनाशी, रासायनिक और जैव-पीड़कनाशी दोनों, फसलों के नुकसान को कम करने में कीटों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, पीड़कनाशियों का कृषि पारिस्थितिक-तंत्रों, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए, ज्यादातर रासायनिक कीटनाशकों को उनके जीवन चक्र तक उत्पादन, परिवहन, भंडारण, उपयोग और निपटान में सावधानीपूर्वक देखरेख एवं रखरखाव किया जाना चाहिए। पीड़कनाशी प्रबंधन कीटनाशकों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए उपयुक्त सलाह प्रदान करता है। कीटनाशकों के वितरण और उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता कीटनाशकों की उपलब्धता, वितरण और उपयोग को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है।
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