पाँव पिछारु ना धरियो तुम, नहीं क्षत्रिपन जाय नसाय।जो सुनि नौह भगे ककौनो, तो मै ऐट फारि गरि जाँठ।।सम्मुख रण में जो जुझेग, लैके साथ सती हो गाँउ।इतनी सुनि हसि लखन बोले, रानी बचपन करो परमान।।
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पाँव पिछारु ना धरियो तुम, नहीं क्षत्रिपन जाय नसाय।जो सुनि नौह भगे ककौनो, तो मै ऐट फारि गरि जाँठ।।सम्मुख रण में जो जुझेग, लैके साथ सती हो गाँउ।इतनी सुनि हसि लखन बोले, रानी बचपन करो परमान।।
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