पावस का मधुमास आस-विश्वास बढ़ाता, नत मस्तक होकर 'अचूक' पद पुष्प चढाता। सदा-सदा से चलती आई हँसी-ठिठोली, सोंधी-सोंधी-सी सुगंध, माटी से बोली।। saral artha
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