पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।
जनम-जनम की पूँजी पायी, जग में सभी खोवायो।
खरच न खूटे, चोर न लूट, दिन-दिन बढ़त सवायो।
सत की नाँव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस गायो।।
प्रश्न :
1) मीरा किस प्रकार की धन पाई है?
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Answer:
Meera ne ram rupi dhan prapt Kiya h
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