पायो जी मैंने राम रतन धन पायो .. वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो. पायो जी मैंने… जनम जनम की पूंजी पाई जग में सभी खोवायो. पायो जी मैंने… खरचै न खूटै चोर न लूटै दिन दिन बढ़त सवायो. पायो जी मैंने… सत की नाव खेवटिया सतगुरु भवसागर तर आयो. पायो जी मैंने… मीरा के प्रभु गिरिधर नागर हरष हरष जस गायो. पायो जी मैंने…का भावार्थ बताइये।
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मीरा ने राम नाम का एक अलोकिक धन प्राप्त कर लिया हैं.
जिसे उसके गुरु रविदास जी ने दिया हैं.
इस एक नाम को पाकर उसने कई जन्मो का धन एवम सभी का प्रेम पा लिया हैं.
यह धन ना खर्चे से कम होता हैं और ना ही चोरी होता हैं
यह धन तो दिन रात बढ़ता ही जा रहा हैं.
यह ऐसा धन हैं जो मोक्ष का मार्ग दिखता हैं.
इस नाम को अर्थात श्री कृष्ण को पाकर मीरा ने ख़ुशी – ख़ुशी से उनका गुणगान गाया.
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