प्याले में चाय काम होने पर भी लेखक को उसे पीने में डेढ़ घंटे क्यो लग गया ?
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➲ प्याली में चाय कम होने के बावजूद भी लेखक को चाय पीने में डेढ़ घंटे इसलिए लग गए, क्योंकि लेखक ने होठों से प्याला लगाकर एक-एक बूंद करके चाय पीते रहा।
लेखक ने जैसे ही चाय का घूंट लिया तो लेखक को लगा जैसे लेखक के दिमाग की रफ्तार धीमी पड़ गई है और ऐसा लगा जैसे अनंत काल में जा रहा है। लेखक को चारों तरफ सन्नाटा सा सुनाई दे रहा था। चाय पीने में हुये अजीब और अपूर्व अनुभव के कारण लेखक धीरे-धीरे चाय पीता रहा। चाय पीने की यह प्रक्रिया डेढ़ घंटे तक चली। चाय पीने की ये प्रक्रिया वास्तव धीमी प्रक्रिया है, चाय को धीमे-धीमे पिया जाता है, जिसमे घंटा-डेढ़ घंटा लगता है।
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