पियापक
प्रश्न-13 निम्नलिखित औपचारिक एवं अनौपचारिक विषयों पर पत्र लिखिए
(क) संघर्ष ही जीवन है
(ख) भारतीय नारी
(ग) आत्मविश्व
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Answer:
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Answer:
पत्र लेखन
April 27, 2019 by Rama Krishna
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CBSE Class 8 Hindi पत्र लेखन
आज के आधुनिक युग में विचारों के आदान-प्रदान के अनेक साधन उपलब्ध हैं, परंतु पत्र लेखन का हमारे जीवन में आज भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। पत्रों को इसी आधार पर दो भेदों में बाँटा जा सकता है
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
1. औपचारिक पत्र – औपचारिक पत्र हम विभिन्न विभागों तथा अधिकारियों को आवेदन के लिए किसी समस्या के लिए, किसी सूचना के लिए अथवा किसी अन्य सार्वजनिक या व्यापारिक कारण से लिखते हैं। औपचारिक पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश हस्ताक्षर आदि बाई ओर से लिखें।
इसके बाद तिथि लिखी जाती है। संक्षेप में पत्र का विषय लिखा जाता है।
इसके बाद संबोधन आता है; जैसे- महोदय, मानवीय या मान्यवर आदि। औपचारिक पत्रों में प्रायः अभिवादन नहीं लिखा जाता है।
इसके पश्चात धन्यवाद लिखा जाता है।
अंत में प्रार्थी, विनीत, आपका आज्ञाकारी, भवदीय आदि जो उचित हो लिखा जाता है तथा लिखने वाला अपना नाम व पता लिखता है।
संबोधन – श्रीमान्, महोदय, मान्यवर, माननीय आदि।
अभिवादन – प्रायः नहीं होता।
अंत के शब्द – प्रार्थी, निवेदक, विनीत, भवदीय/भवदीया।
आपका आज्ञाकारी, आपकी आज्ञाकारिणी आदि।
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CBSE Class 8 Hindi पत्र लेखन
April 27, 2019 by Rama Krishna
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CBSE Class 8 Hindi पत्र लेखन
आज के आधुनिक युग में विचारों के आदान-प्रदान के अनेक साधन उपलब्ध हैं, परंतु पत्र लेखन का हमारे जीवन में आज भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। पत्रों को इसी आधार पर दो भेदों में बाँटा जा सकता है
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
1. औपचारिक पत्र – औपचारिक पत्र हम विभिन्न विभागों तथा अधिकारियों को आवेदन के लिए किसी समस्या के लिए, किसी सूचना के लिए अथवा किसी अन्य सार्वजनिक या व्यापारिक कारण से लिखते हैं। औपचारिक पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश हस्ताक्षर आदि बाई ओर से लिखें।
इसके बाद तिथि लिखी जाती है। संक्षेप में पत्र का विषय लिखा जाता है।
इसके बाद संबोधन आता है; जैसे- महोदय, मानवीय या मान्यवर आदि। औपचारिक पत्रों में प्रायः अभिवादन नहीं लिखा जाता है।
इसके पश्चात धन्यवाद लिखा जाता है।
अंत में प्रार्थी, विनीत, आपका आज्ञाकारी, भवदीय आदि जो उचित हो लिखा जाता है तथा लिखने वाला अपना नाम व पता लिखता है।
संबोधन – श्रीमान्, महोदय, मान्यवर, माननीय आदि।
अभिवादन – प्रायः नहीं होता।
अंत के शब्द – प्रार्थी, निवेदक, विनीत, भवदीय/भवदीया।
आपका आज्ञाकारी, आपकी आज्ञाकारिणी आदि।
2. अनौपचारिक पत्र – इस पत्र में व्यक्तिगत पत्र आते हैं। इस प्रकार के पत्र माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, मित्र-सहेली तथा संबंधियों को लिखे जाते हैं।
अनौपचारिक पत्रों को लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
पत्र लिखने वाला अपना पता तथा तिथि बाई ओर लिखता है।
इसके नीचे अभिवादन लिखा जाता है; जैसे-नमस्ते, असीम स्नेह, सादर चरण स्पर्श आदि।
अंत में जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उससे लिखने वाले का संबंध व नाम लिखा जाता है; जैसे-मित्र/सखी, आपका बेटा/ बेटी, आपका पोता/पोती आदि।
अनौपचारिक पत्रों में-
जिन्हें पत्र लिखा हो संबोधन अभिवादन अंत के शब्द
बड़ों को आदरणीय, पूजनीय, माननीय, परमपूज्य सादर प्रणाम, चरण स्पर्श आज्ञाकारी, आपका पुत्र, भाई, शिष्य
छोटों को प्रिय, आयुष्मान चिरंजीवी शुभाशीर्वाद, प्रसन्न रहो, सुखी रहो तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभेच्छा, शुभचिंतक, तुम्हारा शुभाकांक्षी
बरोबर वालों को प्रिय भाई, बहन, मित्र, सखी नमस्ते, सप्रेम नमस्कार, मधुर स्मृति शुभाभिलाषी तुम्हारा भाई, बहन, मित्र, सखी
औपचारिक पत्र
1. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए पत्र लिखिए।
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
क, ख, ग, विद्यालय
………. नगर।
दिनांक ……….
विषय – आर्थिक सहायता प्राप्त करने के संबंध में।
मान्यवर
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय कक्षा आठवीं ‘ए’ का छात्र हूँ। मैं विद्यालय में पिछले चार वर्षों से अध्ययनरत हूँ। इन सभी वर्षों में मेरा पढ़ाई का रिकार्ड अच्छा रहा है। पढ़ाई के साथ-साथ मैंने विद्यालय द्वारा आयोजित अनेक कार्यक्रमों में भाग लेकर अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। महाशय मेरे पिता जी की एक वर्कशाप थी जिसे सरकारी नियमों के अनुसार बंद करा दिया गया। इसके कारण घर की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल हो गई। पिता जी ने नया व्यापार शुरू किया है, पर उसे चलने में थोड़ा समय लगेगा। इन परिस्थितियों में मेरे पिता जी मेरा शिक्षण शुल्क बहन करने में असमर्थ हैं।अतः आपसे अनुरोध है कि इस वर्ष मुझे विद्यालय की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान करने की स्वीकृति देने की कृपा करें। जिससे मेरी पढ़ाई में किसी तरह से रुकावट न हो।
आपकी इस कृपा के लिए आजीवन आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क ख ग
कक्षा आठवीं, अनुक्रमांक 16