Hindi, asked by jainharsh27210, 5 months ago


प्यारे बच्चो, प्रेमचंद के फटे जूते नामक पाठ एक निबंध है जिसे हरिशंकर परसाई जी ने प्रेमचंद के
व्यक्तित्व की सादगी का विवेचन करते हुए, आज की दिखावे की प्रवृत्ति एवं अवसरवादिता पर
व्यंग्य किया है। वे प्रेमचंद के व्यक्तित्व के बारे में तो बताते ही है, साथ ही अपने बारे में बताते हुए
क्या कहते हैं आइए. इस गद्यांश को पढ़कर जानें और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।
Seal
फोटो ही खिंचाना था, तो ठीक जूते पहन लेते, या न खिंचाते।फोटो न खिंचाने से क्या
बिगड़ता था। शायद पत्नी का आग्रह रहा हो और तुम , अच्छा, चल भाई कहकर बैठ गए
होंगे। मगर यह कितनी बड़ी 'ट्रेजडी है कि आदमी के पास फोटो खिंचाने को भी जूते न हो।
मैं तुम्हारी यह फोटो देखते-देखते, तुम्हारे क्लेश को अपने भीतर महसूस करके जैसे रो पड़ना
चाहता हूँ, मगर तुम्हारी आँखों का पह तीखा दर्द भरा व्यंग्प मुझे एकदम रोक देता है।
तुम फोटो का महत्व नहीं समझते । समझते होते, तो किसी से फोटो खिंचाने के लिए जूते
माँग लेते। लोग तो मांगे के कोट से बर-दिखाई करते हैं। और मांगे की मोटर से बारात
निकालते हैं। फोटो खिंचाने के लिए तो बीवी तक माँग ली जाती है, तुमसे जूते ही माँगते नही बने ! तुम फोटो का महत्व नही
जानते। लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते है।
उपर्युक्त पठित गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दें:
1)लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि प्रेमचंद फोटो का महत्व नहीं समझते ?

Answers

Answered by rahul77118
2

Answer:

फोटो ही खिंचाना था, तो ठीक जूते पहन लेते, या न खिंचाते।फोटो न खिंचाने से क्या

बिगड़ता था। शायद पत्नी का आग्रह रहा हो और तुम , अच्छा, चल भाई कहकर बैठ गए

Answered by sainideepakfootball
0

Explanation:

फोटो ही खिंचाना था, तो ठीक जूते पहन लेते, या न खिंचाते।फोटो न खिंचाने से क्या

बिगड़ता था। शायद पत्नी का आग्रह रहा हो और तुम , अच्छा, चल भाई कहकर बैठ गए

होंगे।

Similar questions