पायाव अत्याचारा का राकन के लिए हम अपना आर्थिक व्यवस्था
का आधार ऐतिहासिक, नैतिक चेतना या संस्कृति के अनुसार बनाना
चाहिए। आर्थिक व्यवस्था के पीछे वैयक्तिक लाभ और भोग की भावना
है कि विश्व को
की प्रधानता न होकर वेयक्तिक त्याग और सामाजिक कल्याण की भावना
परिस्थितियों मे
की प्रधानता होनी चाहिए।
बादिक गौरव
ब) आर्थिक व्यापार करने में वैयक्तिक त्याग, सामाजिक हित, सेवा और
कताका नतिक
कर्तव्य भावना की प्रधानता होनी चाहिए।
विषयमदूसरी (7
आज विज्ञान मनुष्यों के हाथों में अदभुत और अतुल शक्ति दे रहा है, उसका
अथवा सामूहिक उपयोग एक व्यक्ति और समूह के उत्कर्ष और दूसरे व्यक्ति और समूह के
गर और ग्राम, गिराने में होता ही रहेगा इसलिए हमें उस भावना को जाग्रत रखना है और उसे
सकतनाक
जाग्रत रखने के लिए कुछ ऐसे साधनों को भी हाथ में रखना होगा, जो उस
अहिंसात्मक त्याग-भावना को प्रोत्साहित करें और भोग-भावना को दबाए रखें।
विभिन्न वर्ग
नैतिक अंकुश के बिना शक्ति मानत के लिए हितकर नहीं होती। वह नैतिक अंकुश
यह चेतना या भावना ही दे सकती है। वही उस शक्ति को परिमित भी कर
सकती है और उसके उपयोग को नियन्त्रित भैM Imp (2018,16,14,11)
सवा और
रहा है।
(क) उपरोक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ख) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) उपरोक्त अवतरण में लेखक ने मानव को क्या सन्देश दिया है?
(घ) आज विज्ञान मनुष्य को क्या दे
(ङ) विज्ञान की शक्ति के सन्तुलित उपयोग के लिए किस भावना को जाग्रत
रखना आवश्यक है।
अथवा विज्ञान के सम्बन्ध में लेखक के क्या विचार है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा आज विज्ञान मनुष्य के हाथ में कैसी शक्ति दे रहा है?
'संघर्ष
Answers
Answered by
0
Answer:
bhout bada hain
padhne ka man nHi hai
Similar questions