प्याज़े और वाइगोत्सगी क़े संज्ञानात्मक ववकास वसद्ांत को अपऩे आस-पास क़े पररव़ेश क़े बच्ों क़े
अवलोकन क़े आधार पर स्पष्ट करें।
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Answer:
मैं आपके सवाल को सामज नही पाया हु कृपया मुझे थोड़ा आसानी भासा मैं समजये ताकि मैं आपका सवाल का जवाब दे सकू शुक्रिया
प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त :-
ज्यां प्याज़े द्वारा दिया गया संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त (theory of cognitive development) मानव बुद्धि की प्रकृति एवं उसके विकास से सम्बन्धित एक महान एवं महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। प्याज़े का मानना था,वचपन व्यक्ति के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह सिद्धान्त ज्ञान की प्रकृति के बारे में है और बतलाता है कि मानव कैसे ज्ञान क्रमशः इसका अर्जन करता है, कैसे इसे एक-एक कर जोड़ता है और कैसे इसका उपयोग करता है।
संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएँ :-
ज्यां पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास को चार अवस्थाओं में विभाजित किया है-
(१) संवेदिक पेशीय अवस्था (Sensory Motor) : जन्म के 2 वर्ष
(२) पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था (Pre-operational) : 2-7 वर्ष
(३) मूर्त संक्रियात्मक PYAJE अवस्था (Concrete Operational) : 7 से11 वर्ष
(४) अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Formal Operational) : 11से 15वर्ष
वाइगोत्सकी का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त
रूसी वैज्ञानिक लेव वाइगोटस्की ने संज्ञानात्मक विकास को सामाजिक सांस्कृतिक
संदर्भ में स्पष्ट किया है | पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत जिसमें बालक को स्वयं खोज करके सीखने की प्रक्रिया और परिपक्वता पर बल दिया गया था उसे वाइगोटस्की ने स्वीकार नहीं किया है | उनके अनुसार बालक के संज्ञानात्मक विकास में सामाजिक कारक और भाषा का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है| उनका मत था कि बालक अपने से बड़ों का योग्य साथी बालकों के साथ, उन जटिल संकल्पनाओं ओर विचारों को भी समझ सकता है जो अकेले शायद वह न समझ सके ।
वाइगोस्टी के अनुसार बालक जिस आयु में भी कोई संज्ञानात्मक कौशल सीखते हैं उनका अधिगम इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी संस्कृति में वह कौशल कितना स्वीकार्य है | उनके मतानुसार संज्ञानात्मक विकास एक अन्तर्वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में सम्पन्न होता है |
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