पोयम ऑन सेल्यूटो गुरु तेग बहादुर जी
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हमने कितने दाग लगाए सम्मानों की पगड़ी पर
सारे पुरूस्कार छोड़े है बलिदानों की पगड़ी पर
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थोड़ी सी आबादी हैं पर सुविधा सारी न मांगी
आरक्षण की बैसाखी भी जिसने कभी नहीं मांगी
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जो सप्ताह के सातों दिन बस मेहनत की खाता हैं
चाहे कोई ढाबा खोले या ट्रक चलाता हैं.
उन्हें सताने वाले लोगों मैं कहता धिक्कार तुम्हे
मुर्ख कहने वाले लोगों मैं कहता धिक्कार तुम्हे
आज चलों बलिदानी पगड़ी की बाते बतलाता हूँ
सिख धर्म के बलिदान की सारी कथा बताता हूँ.
सिक्खों के एहसान हैं इतने कैसे कलम चलाऊगा
सातों सागर स्याही कर दूर फिर भी लिख न पाउगा.
जिन बेटों ने बलिदानी इतिहास बनाकर डाल दिया
उन बेटों को बस हमने उपहास बनाकर डाल दिया.
गुरु नानक ने पगड़ी सौपी देश धर्म की रक्षा हो
दूर हटे पाखंडवाद यहाँ जन जन की रक्षा हो
गुरु तेगबहादुर को मिलने कुछ कश्मीरी आए थे
मुस्लिम अत्याचारों से वे सारे ही घबराएँ थे.
कश्मीरी बोले परेशान है गुरूजी दहशतगर्दी से
मुस्लिम सबकों बना रहा औरंगजेब नामर्दी से
सोचा गुरु ने और कहा भारी कीमत चुकानी हैं
भारत देश मांग रहा इस समय बड़ी क़ुरबानी हैं
सब शेरो से बोलों कि अब हाथों में हथियार रखे
और पिता से बोलो बेटो की अर्थी तैयार रखे
धन दौलत और सारी संपदा देश धर्म के नाम करे
माओं से बोलों कि अब निज बेटों का दान करे
एक पतंगा गुरु के दिल के भीतर तक चला गया
हुए रोगटे खड़े गुरु के हाथ कृपाण पे चला गया
पीकर गुस्सा तेग बहादुर हो गये मौन
लम्बी सांस खीचकर बोले बड़ी कुर्बानी देगा कौन
बात हुई ऐसी कुछ उस दिन, धरती अम्बर डौल गये
नौ साल के गुरु गोविन्द जी सबके सम्मुख बोल गये
कहा पिताजी उस शव पर भारत की नीव खड़ी होगी
औरंगजेब से आप लड़ो कुर्बानी बहुत बड़ी होगी.
मैं अब भी शीश झुकाता हूँ उस दिल्ली के गलियारे में
जहाँ गुरु का शीश गिरा था शीशगंज गुरुद्वारे में