पाँयनि नूपुर मंजु बजै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई। साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई। माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई। जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह 'देव' सहाई।।
इसका संदर्भ प्रसंग क्या होगा
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पैरों में सुंदर घुंघरू बज रहे हैं कमर पर बंदी हुई कमरबंद की घुंघरू की आवाज मनोहरी आ रही है सांवली शरीर पर पीले वस्त्र हृदय की माला माथे पर टीका और बड़े-बड़े नेत्र
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