पॉयनियर प्रेस में प्रताप की समय की पाबंदी, शुद्ध-स्वच्छ लिखावट,
। सही-साफ हिसाब-किताब रखने की आदत, विनम्र-निश्चल व्यवहार ने बहुत
जल्दी उनको विशिष्टता दे दी। अपना काम खत्म कर वे सहयोगी क्लार्को का
पिछडा काम भी अपनी मेज पर रख लेते और दफ्तर बंद हो जाने के घंटो बाद,
रात देर तक काम में जुटे रहते। अस प्रकार वे अधिकारियों और सहकर्मियों, दोनों
के प्रिय बन गए। घर से दफ्तर चार मील होगा; कुछ कम भी हो सकता है।
फासले के मामले में मेरा अनुमान हमेशा गलत होता है ज्यादा की तरफ। वे
पैदल ही आते-जाते शायद पैसे बचाने की गरज से, साइकिल न उन्होंने खरीदी,
न उसकी सवारी की।
दफ्तर के लिए उन्होंने एक तरह की पोशाक अपनाई और जितने दिन
दफ्तर में गए -काला जूता, ढीला पाजामा, अचकन जो उनके लंबे-इकहरे शरीर
पर खूब फबती थी और दुपल्ली टोपी। जाडों में मेरी माँ के हाथ का बुना ऊनी
गुलूबंद उनके गले में पड़ा रहता था। दफ्तर से बाहर के लिए वे धोती पर बंद
गले का कोट पहनते थे. सिर पर फेल्ट कैप जो उन दिनों विलायत से आती थी
और काफी महंगी होती थी। पिता जी बाहर निकलते तो छाता उनके हाथ में जरू-
होता।
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कवि द्वारा भिखारी और कुत्तों के बीच प्रतिद्वंदिता की ओर संकेत करने का उद्देश्य है
क) भीख ना देने वाले पर गुस्सा दिखाना ख) एक दूसरे को नीचा दिखाना
ग) सामाजिक विषमता पर बंद करना
घ) दोनों की समानता दर्शाना
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