पभात कविता का सार लिखिए
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प्रभात वर्णन कविता का सार
प्रभात वर्णन में हरिऔध जी ने प्रकृति के सबसे सुन्दर क्षण प्रभात की सुन्दरता एवं उसके मनोहरी दृश्यों का चित्रण किया है। ... कवि आगे कहते हैं कि प्रकृति रूपी वधू ने अपने शरीर से तारकावलि(तारे, नक्षत्र समूह) का गहना उतार दिया। उसका यह नया स्वरूप, नया रंग पूरे नीले आसमान पर छा गया।
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प्रभात वर्णन कविता का सार
प्रभात वर्णन में हरिऔध जी ने प्रकृति के सबसे सुन्दर क्षण प्रभात की सुन्दरता एवं उसके मनोहरी दृश्यों का चित्रण किया है। ... कवि आगे कहते हैं कि प्रकृति रूपी वधू ने अपने शरीर से तारकावलि(तारे, नक्षत्र समूह) का गहना उतार दिया। उसका यह नया स्वरूप, नया रंग पूरे नीले आसमान पर छा गया।
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