पछतावे की एक - दो बात थी । इस आठ साल के जीवन में मैंने पति को क्या आराम पहुँचाया ? वह बारह बजे रात तक कानूनी पुस्तकें देखते रहते थे , मैं पड़ी सोती रहती थी । वह संध्या समय भी मुवक्किलों से मामले की बातें करते थे , मैं पार्क और सिनेमा की सैर करती थी , बाजारों में मटरगश्ती करती थी । मैंने इन्हें धनोपार्जन के एक यंत्र के सिवा और क्या समझा ?
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यह पंक्तियाँ ग़बन (उपन्यास) से ली गई है| ग़बन (उपन्यास) प्रेमचन्द द्वारा लिखी गई है|
‘गबन’ में प्रेमचन्द द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध उपन्यास है| ग़बन (उपन्यास) में उन्होंने महिलाओं का उनके पति पर होने वाला प्रभाव दर्शाया है | ‘गबन’ में प्रेमचन्द ने मध्यवित्त-वर्ग के यथार्थ जीवन और मनोवृत्तियों का वर्णन किया गया है| जिन वर्गों की वास्तविक आय कम होती है , फिर भी वह अपनी झूठी शान दिखाने के लिए अपनी हैसियत से बहुत अधिक खर्चे करते है| बेईमानी, रिश्वत, झूठ, हेरा-फेरी आदि उपायों से कार्यों को पूरा करते है|
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