पढ्यांश की अंतिम दो पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
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उस कुटिया के सामने एक विशाल पत्थर के ऊपर एक धैर्यशाली, निर्भय और वीर पुरुष बैठा हुआ है। इस समय सारा संसार सो रहा है, परंतु यह वीर धनुषधारी पुरुष अभी भी जाग रहा है। यह वीर ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे भोग-विलास करने वाला कामदेव वहाँ योगी बनकर आ बैठा हो।
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