Hindi, asked by DSTAR3941, 1 year ago

Padhai m badta tanav par do adhyapko ke beech samvad likhiya

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Answered by yuvrajpardhi1060
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Theory :: सिद्धांतप्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत के कालक्रम में शिल्पकार को बहुआयामी भूमिका का निर्वाह करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। शिल्पकार शिल्पवस्तुओं के निर्माता और विक्रेता के अलावा समाज में डिजाइनर, सर्जक, अन्वेषक और समस्याएं हल करने वाले व्यक्ति के रूप में भी कई भूमिकाएं निभाता है। अतः शिल्पकार केवल एक वस्तु निर्माता ही नहीं होता और शिल्पवस्तु (क्राफ्ट) केवल एक सुंदर वस्तु ही नहीं होती बल्कि इसका सृजन एक विशेष कार्य के लिए, ग्राहक की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए किया जाता है।

वस्तुतः शिल्पकार एक समस्या समाधानकर्ता के रूप में कुशल भूमिका निभाता है (विशेषतः ग्रामीण भारत में )। उदाहरण के लिए, उपभोक्ता या ग्राहक शिल्पकार से कह सकते हैं कि वह एक ऐसा प्याला बनाये, जिसे वे आसानी से पकड़ सकें और उससे गर्म पेय पी सकें। इस संबंध में शिल्पकार कुम्हार कप के हैंडल को इस तरह से डिजाइन करेगा कि उसे आसानी से पकड़ा जा सके और कप को इस प्रकार का आकार देगा कि न तो वह बहुत भारी हो और न ही बहुत बड़ा। इस तरह स्पष्ट है कि ग्राहक शिल्पकार को एक समस्या को हल करने के लिए देता है कि वह गर्म पेय के लिए कप बनाये। शिल्पकार जिस जीवंतता (vividity) के साथ कार्य करता है, वह उसे एक सांस्कृतिक प्राणी और सौन्दर्योपासक (वस्तु की सुंदरता की उपासना एवं आराधना करने वाला) बना देती है। विभिन्न वस्तु एवं उत्पाद का निर्माण उसके लिए एक साधना हो जाती है। अपनी इसी साधना को इन्द्रधनुषी आभा प्रदान करने में वह लगा रहता है। गहराई से देखें तो शिल्पकार द्वारा निर्मित उत्पाद उपयोगिता, सौन्दर्य, अंतसंपर्कों को बढ़ावा देने का उपादान (Tool) होता है। शिल्पकार कुम्हार की विशिष्टता उत्पाद की कलाकारी और सजावट नहीं बल्कि ग्राहक
Answered by KrystaCort
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पढ़ाई में बढ़ते तनाव को ले कर दो अध्यापकों के बीच संवाद लेखन |

Explanation:

विकास: सुरेश जी क्या आपने सुना अपने विद्यालय के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली।

सुरेश: जी विकास जी आप सही कह रहे हैं मैंने भी यह खबर सुनी है कि एक विद्यार्थी ने पाठ्यक्रम से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।

विकास: पर पाठ्यक्रम इतना भी कोई कठिन नहीं है कि उसे पढ़ा ना जा सके।

सुरेश: बात एकदम सही है लेकिन आज के विद्यार्थी पढ़ाई से ज्यादा पढ़ाई का तनाव लेते हैं।

विकास: पर तनाव लेने की आवश्यकता क्या है?  

सुरेश: पाठ्यक्रम थोड़ा ज्यादा होने से बेशक बच्चे तनाव ले लेते हैं लेकिन उस तनाव में आत्महत्या करना वाकई एक बहुत बड़ा कदम है।

विकास: अब की बार की मीटिंग  मैं अपना यही मत रखूंगा कि पाठ्यक्रम को थोड़ा कम किया जाए ताकि विद्यार्थी अपने जीवन को अच्छी तरह अनुभव करके जी सके और पढ़ाई का तनाव ना लें।

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माँ और बेटे में हुई दुरभाष बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए

brainly.in/question/2858687

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