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मोदी सरकार डिजिटल इंडिया को जो सपना दिखा रही है उसमें हर गांव को ब्राडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य है. क्रेंद्र सरकार ने बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, एग्री सेवाएं सूचना तकनीकि के जरिए दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. सरकार के इस निर्णय से शिक्षा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत हो सकेगी. सरकार जो सपना देख रही है उसे मोरारका फाउंडेशन ने झुंझुनू और सीकर जिले में खासकर शिक्षा के क्षेत्र में पूरा कर दिखाया है. मोरारका फाउंडेशन के लगातार प्रयास से आज ग्रामीण भारत, शहरी भारत से होड़ करता दिखाई दे रहा है. इंडिया और भारत के बीच की खाई पटती दिख रही है.
चार साल पहले प्रायोगिक प्रोजेक्ट के रूप में यह कार्यक्रम सीकर जिले के बेरी ग्राम के कैरियर सीनियर सेकेंड्री स्कूल से शुरू किया गया गया था. वहां इसकी सफलता को देखकर नवलगढ़ क्षेत्र के कई विद्यालयों में इसकी शुरूआत की गई. इसके परिणाम भी सराहनीय रहे इसके बाद इस कार्यक्रम का विस्तार किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत ऑडियो-वीडियो द्वारा पूर्णतया ऑनलाइन इंटरनेट आधारित शिक्षा दी जाती है. इस कार्यक्र के अंतर्गत कक्षा 11 और कक्षा 12 के विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की किताबों और प्रश्नपत्रों को साल्यूशन, ऑनलाइन स्टडी मटेरियल, सीबीएसई कोर्स, लाइव ऑनलाइन टेस्ट और पर्सनालिटी डेवलपमेंट कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाता है. जिससे कि वो राष्ट्रीय और राज्य स्तर की मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में सफल हो सकें. यह एक आसान, सुविधाजनक और आधुनिक पाठ्यक्रम वाली शैक्षणिक तकनीक है जिसमें विद्यार्थी को किसी बड़े संस्थान, शहर में जाकर और भारी फीस चुकाकर पढ़ने की जरुरत नहीं है. बल्कि घर, स्कूल या किसी कंप्यूटर प्रशिक्षण संस्थान में जाकर नियमित और रोचक तरीके से शिक्षा प्राप्त की जा सकती है.
मोरारका फाउंडेशन ने चार साल पहले ऑनलाइन एजुकेशन प्रोग्राम की सुविधा ग्रामीण भारत में उपलब्ध कराने का स्वप्न साकार किया है. पिछले कुछ सालों के परिणामों से प्रभावित होकर इस साल क्षेत्र के उन 100 विद्यालयों को इस कार्यक्रम से जोड़ा गया है जिनमें क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों से पढ़ने के लिए विद्यार्थी आते हैं. पिछले साल तक इस कार्यक्रम से क्षेत्र के 21 स्कूल जुड़े थे. इसके 2661 विद्यार्थी नामांकित हुए थे. जिसमें कक्षा 12 के विज्ञान वर्ग के 1467 विद्यार्थी थे. इनमें से 105 विद्यार्थियों ने 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किए जबकि 125 विद्यार्थियों ने 80 से 85 प्रतिशत अंक और कुल 563 विद्यार्थियों ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की. इन स्कूलों के 47 छात्र पीएमटी की मुख्य परीक्षा में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की मुख्य परीक्षा में 50 छात्र पहुंचने में सफल हुए. पांच विद्यार्थी आईआईटी में प्रवेश पाने में और 31 विद्यार्थी एनईईटी में चयनित होने में सफल रहे.
जिन जगहों में अभी इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है, वहां ऑनलाइन एजुकेशन का सबस्टीट्यूट ऑफलाइन एजुकेशन को बनाया है. इसमें एक ऐसी किट तैयार की गई जिसमें विज्ञान, इतिहास, जीवविज्ञान, खेल, सामान्य ज्ञान, इन्साक्लोपीडिया, कहानियों की एक किट तैयार करके स्कूलों को दी गई है, जिनके उपयोग से विद्यार्थी किताबों के अलावा अतिरिक्त जानकारी पा सकते हैं, ऐसे में इंटरनेट भी बाधा नहीं बनता है. इस योजना को लागू करने के लिए 100 स्कूल चिन्हित किए गए थे, जिनमें से 50 में ऑफलाइन एजुकेशन प्रणाली लागू कर दी गई है.
शिक्षा की नई तकनीकी, नए पाठ्यक्रम, नई सोच और विश्व स्तर पर तेजी से हो रहे संचार क्रांति में बदलाव, शिक्षा का आधुनिक माहौल, आधुनिक मशीनें और न जाने कितने ही अवसर प्रदान करने वाले संसाधन ग्रामीण भारत की पहुंच से कोसों दूर हैं. ऐसे में ग्राणीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले अधिकांश मेधावी विद्यार्थी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में शहरी विद्यार्थियों से पीछे रह जाते हैं.
ग्रामीण क्षेत्र के चुनिंदा विद्यार्थियों को ही शहरों में जाकर आधुनिक शिक्षा के संसाधनों से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है. इसके लिएभी उन्हें मोटी फीस चुकानी होती है. बेसिक शिक्षा में और कॉन्सेप्ट क्लियर न होने के वजह से उन्हें वहां भी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है. इस तरह हर साल ग्रामीण क्षेत्र के हजारों युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो जाता है. महानगरों में बड़ी-बड़ी कोचिंग क्लास में पढ़ाने वाले शिक्षकों को गांवों तक लाना आसान नहीं है, लेकिन तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से मोरारका फाउंडेशन ने यह काम कर दिखाया है. सूचना तकनीक किसी क्षेत्र का प्रभावशाली तरीके से कायाकल्प कर सकती है. शेखावटी में चल रहा ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम इसकी मिसाल है. यहां सूचना तकनीकी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति आई है, इसकी कल्पना दो स