padhne ka anand anuched
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पढ़ने का आनंद अनुच्छेद निम्न प्रकार से लिखा गया है।
किताबें पढ़ना गुणी ज्ञानी लोगों का काम समझा जाता है लेकिन ऐसी बात नहीं । पुस्तके हजारों प्रकार की होती है। ज्ञानवर्धक पुस्तकें, मनोरंजन की पुस्तके , पहेलियां बूझने की पुस्तके आदि।
जो लोग दिन भर पढ़ते रहते है उन्हें किताबी कीड़ा कहा जाता है। एक कहावत कहीं जाती है बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद या फिर कह सकते है कि गूंगा कैसे बता सकता है कि कोई बात उसे इतनी पसंद है।उसी प्रकार जिन्हे पढ़ने का शौक होता है उन्हें ही किताबो का महत्व पता होता है।
भारत के राष्ट्रपति रह चुके ए. पी. जे अब्दुल कलाम को किताबे पढ़ने का बहुत शौक होता था। वे दूसरों भी खाली समय में किताबे पढ़ने की हिदायत देते थे। वे कहते थे कि किताबें ही सच्चे मित्र होते है।
भारत में महान लेखक व कवियों का जन्म हुआ है जैसे मुंशी प्रेमचंद जी , हरिवंश राय बच्चन जी, निराला जी, सुमित्रानंदन पंत जी आदि। इन सभी का जीवन तो किताबों के बीच ही बीत गया । इन्होंने वचन व लेखन के अतिरिक्त किसी भी प्रकार की चीजों में अपना समय नहीं गंवाया।
आज समय बदल रहा है किताबों का स्थान मोबाइल फोन ने के लिए है , ई बुक्स का प्रचलन हो गया है लेकिन किताब शब्द सुनते ही आंखो के आगे कागज से बनी , सुंदर कवर से सजी किताब ही दिखती है। आज भी पढ़ने का वास्तविक आंनद तो किताब पढ़ने से ही आता है।
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