Padmakar ke prekreti chitrad par apne bichar likhiy
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पद्माकर के प्रकृति चित्रण
काव्य रचना व भाषा शैली -
मतिराम जी के रसराज के समान पद्माकर जी का जगविनोद भी काव्य रसिकों और अभ्यासियों दोनों का कंठहार रहा है . ... कल्पना और वाणी के साथ जिस भावुकता का संयोग होता है वही उत्कृष्ट काव्य में रूप में विकसित हो सकती है . भाषा की सब प्रकार की शक्तियों पर इस कवि का अधिकार दिखाई पड़ता है .
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