padmakar ki bhakti bhavna par prakash daliye
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कवि पद्माकर का असली नाम प्यारे लाल था। रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर का महत्वपूर्ण स्थान है।
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वह हिंदी साहित्य के औपचारिक कवियों में अंतिम ज्ञात और अत्यधिक सम्मानित कवि थे। पद्माकर ने जीवन को एक ठोस संविधान बनाने की अपनी दृष्टि के माध्यम से बहादुरी, अलंकरण, प्रेम, भक्ति, अदालत की गतिविधियों, मेलों, त्योहारों, युद्धों और प्रकृति की सुंदरता को प्रभावी ढंग से चित्रित किया है। यहाँ-वहाँ लाक्षणिक शब्दों का प्रयोग करके वे सूक्ष्म भावों को सहज ही अभिव्यक्त कर देते हैं। पद्माकर द्वारा रचित ग्रंथों के सबसे प्रसिद्ध संग्रहों में - हिम्मतबहादुर विरुदावली, पद्मभरण, जगदविनोद, रामरासायन, गंगालहारी, अलीजाप्रकाश, यमुनालहारी, प्रतापसिंह-सफरनामा, राजनीति, कालीपंच -पचिसी रायसा, हितोपदेश भाषा (अनुवाद), अश्वमेध आदि प्रमुख हैं।
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