Padsopan ke gun AVN dosh
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पदसोपान सिद्धांत के गुण
(i) पदसोपानीय संगठन पिरामिड के आकार का होता है इसमें प्रत्येक व्यक्ति की एक विशिष्ट पहचान होती है । यह श्रेणीबद्ध रूप में एक व्यवस्थित संगठन है ।
(ii) संगठन के शीर्ष पर विभागाध्यक्ष या शीर्षस्थ अधिकारी होता है । सर्वोच्च सत्ता का केन्द्र वही होता है ।
(iii) संगठन को कार्य के आधार पर विभिन्न इकाइयों में विभक्त किया जाता है ।
(iv) संगठन में उत्तरदायित्व का बँटवारा पदाधिकारियों की कार्यकुशलता के आधार पर किया जाता है ।
(v) संगठन में सत्ता, आदेश, नियन्त्रण व उत्तरदायित्व एक-एक स्तर से गुजरते हैं । सत्ता, आदेश व नियन्त्रण का संचरण ऊपर से नीचे की ओर होता है, जबकि उत्तरदायित्व का प्रवाह निम्न से उच्च स्तर की ओर होता है ।
(vi) ‘आदेश की एकता’ के नियम का पालन किया जाता है प्रत्येक अधिकारी अपने से उच्च अधिकारी से आदेश प्राप्त करता है तथा उसी के प्रति उत्तरदायी रहता है ।
(vii) शीर्षस्थ अधिकारी के पास कार्यभार नहीं होता है क्योंकि अधिकारों व दायित्वों का वितरण विभिन्न स्तरों पर कर दिया जाता है ।
(viii) संगठन की सभी इकाइयाँ परस्पर व एकीकृत होती हैं ।
पदसोपान सिद्धांत के दोष
पदसोपान प्रणाली का एक दोष यह है कि सर्वोच्च अधिकारी तथा निम्नतर स्तर के अधिकारियों के मध्य पर्याप्त दूरी बनी रहती है तथा उनकी बात या प्रार्थना विभिन्न स्तरों से गुजरने के बाद सर्वोच्च अधिकारी तक पहुँचती है । इस प्रकार प्रत्यक्ष सम्बन्धों का अभाव होने के कारण प्रशासन में ढिलाई की सम्भावना बनी रहती है ।
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