पग घुँघरू बांधि मीरां नाची, मैं तो मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची लोग कहँ, मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी विस का प्याला राणी भेज्या, पवित मीरा हॉर्सी मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी . bhav saundriya batiye
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Nahi malum
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