पग-पग मेरा विश्वास भरा।
तप से है यह जीवन निखरा
प्रखर कर्म का पाठ सतत-
पढ़ती मैं भारतमाता हूँ।
मैं वज्र सदृश विपदाओं को भी अनायास सह लेती हूँ।
सुधा दान कर औरों को, मैं विष पीकर मुस्काती हूँ।
धीरज का पाठ पढ़ाती हूँ।
गौरव का मार्ग दिखाती हूँ।
मैं सहज बोध, मैं सहज शक्ति-
सुविवेकी भारतमाता हूँ।
मूर्तियाँ बना डालीं सजीव, अनगढ़ पत्थर को काट-काट
बंधुता-प्रेम को फैलाया, अपना ही अंतर बाँट–बाँट ।
जिसके गीतों से जगत मुग्ध ।
जिसके नृत्यों पर जगत मुग्ध ।
जिसकी कविता-धारा अविरल-
बहती वह भारतमाता हूँ।।।
'खेतों में है दौलत बिखरी' से क्या तात्पर्य है ?
(ख) भारतमाता को सुविवेकी क्यों कहा गया है ?
(ग) भारत ने अपना हृदय किस रूप में बाँटा है ? the first two lines of the poem are:chanda taro si sehaj kanti, nadiyo me hai miskan bhari
hai pavan jhakoro me dular kheto me hai daulat bhari
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Yeh Kavita Bharat Mata ke nazariye
se likhi gayi hai.
Explanation:
(1)Kheto main hai Daulat bikhri se tatparya hain ki kisaan bohot mehnat se kheton main Fasal ugaate hain.Kheti karne se sone jaisi Fasal ugti hai.Usse kisaano Ko kaafi paisa milta hai.Is paise se wo Pragati ke path per agrasar hote hain.
(2)Bharat Mata suviveki isiliye hain kyunki unhone bohot atyachar Saha hai.Kabhi Mughal kabhi British shasakon ne hamare Desh main bohot utpaat machaya.Magar deshwasiyon ne unhe Desh se bhaga diya kyunki Bharat hamara Desh hai aur hum kisi ke ghulam nhi hain.
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(ग) भारत ने अपना हृदय अपने बंधुता प्रेम अर्थात भाईचारा के रूप में बांटा है।
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