pagadiyoka
का जमाना का निबंध लेखक कौन है
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सारी दुनिया की भाषाओं में निबंध को साहित्य की सृजनात्मक विधा के रूप में मान्यता आधुनिक युग में ही मिली है। आधुनिक युग में ही मध्ययुगीन धार्मिक, सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का द्वार दिखाई पड़ा है। इस मुक्ति से निबंध का गहरा संबंध है।
[ललित अत्री जी]] के अनुसार-
नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिन्ता की उपज है।
इस प्रकार निबंध में निबंधकार की स्वच्छंदता का विशेष महत्त्व है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल PC ने लिखा है :
निबंध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-संबंध-सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती हैं। एक ही बात को लेकर किसी का मन किसी सम्बन्ध-सूत्र पर दौड़ता है, किसी का किसी पर। इसी का नाम है एक ही बात को भिन्न दृष्टियों से देखना। व्यक्तिगत विशेषता का मूल आधार यही है।
इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में किन्हीं ऐसे ठोस रचना-नियमों और तत्वों का निर्देश नहीं दिया जा सकता जिनका पालन करना निबंधकार के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि निबंध एक ऐसी कलाकृति है जिसके नियम लेखक द्वारा ही आविष्कृत होते हैं। निबंध में सहज, सरल और आडम्बरहीन ढंग से व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है।
'हिन्दी साहित्य कोश' के अनुसार:
लेखक बिना किसी संकोच के अपने पाठकों को अपने जीवन-अनुभव सुनाता है और उन्हें आत्मीयता के साथ उनमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। उसकी यह घनिष्ठता जितनी सच्ची और सघन होगी, उसका निबंध पाठकों पर उतना ही सीधा और तीव्र असर करेगा। इसी आत्मीयता के फलस्वरूप निबंध-लेखक पाठकों को अपने पांडित्य से अभिभूत नहीं करना चाहता।
इस प्रकार निबंध के दो विशेष गुण हैं-
(१) व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति
(२) सहभागिता का आत्मीय या अनौपचारिक स्तर
निबंध का आरंभ कैसे हो, बीच में क्या हो और अंत किस प्रकार किया जाए, ऐसे किसी निर्देश और नियम को मानने के लिए निबंधकार बाध्य नहीं है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि निबंध एक उच्छृंखल रचना है और निबंधकार एक उच्छृंखल व्यक्ति। निबंधकार अपनी प्रेरणा और विषय वस्तु की संभावनाओं के अनुसार अपने व्यक्तित्व का प्रकाशन और रचना का संगठन करता है। इसी कारण निबंध में शैली का विशेष महत्त्व है।विचारात्मक निबंध – उपरोक्त निबंध शैली के अंतर्गत किसी विषय का स्पष्टीकरण विभिन्न प्रकार के प्रमाण और तर्क देते हुए किया जाता है। प्रायः इन निबंधों की शैली भी गंभीर हुआ करती है। इसमें निबंध लेखन के दौरान विषय का स्पष्टीकरण और प्रतिपादन करने के लिए आगमन और निर्गमन शैली का प्रयोग किया जाता है।
भावनात्मक निबंध – जिन निबंधों में विचारों के स्थान पर भावों की प्रधानता रहती है, उन्हें भावनात्मक निबंध कहते हैं। इन निबंधों में लेखक किसी विषय का तर्क और प्रमाणों के आधार पर विवेचन नहीं करते, अपितु अपनी अनुभूतियों और भावों को व्यक्त करने पर बल दिया करते हैं। इन निबंधों में भावुकता का अधिक पुट रहता है।
वर्णनात्मक निबंध – उपरोक्त निबंधों में प्रकृति, नगर, ग्राम, खेल, यात्रा और युद्ध इत्यादि के बारे में वर्णित किया जाता है। ये निबंध मूल रूप से सूचनात्मक हुए करते हैं। इनमें लेखक विषय संबंधी स्पष्टता और पूर्ण विवरण का उल्लेख करते हैं।
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please mark as brainlist
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- what ?? pagadiyoka
Explanation:
samaj nhi aaya sorry