Hindi, asked by 2002shivi, 16 days ago

Page No. Date : अतर्राष्ट्रीय संबध्य के अध्ययन में हंस मौर्गयों की परंपरागत यथार्थवाद उपागम का मूल्यांकन कीजियी मूल्यांकन के साथ नव-यथार्भवाय से भिन्नता बताइसे​

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Answered by geetamourya1998
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Answer:

अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के सिद्धान्त में सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य से अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। यह एक ऐसा वैचारिक ढाँचा प्रदान करने का प्रयास करता है जिससे अन्तरराष्ट्रीय सबन्धों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जा सके।[1] ओले होल्स्ती कहता है की अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के सिद्धान्त रंगीन धूप के चश्में की एक जोड़ी के रूप में कार्य करते हैं, जो उसे पहनने वाले व्यक्ति को केवल मुख्य सिद्धान्त के लिए प्रासंगिक घटनाओं को देखने की अनुमति देता है । अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों में यथार्थवाद, उदारवाद और रचनावाद, तीन सबसे लोकप्रिय सिद्धांत हैं।[2]

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