Hindi, asked by w985svpvin, 17 hours ago

PAGE No. DATE // पत्र लेखन पुनरावर्तन माधुनिक मया खलि फैयाज कहीह खर्चील छोड़कर परिजन की प्रेरणा देते हुए छोटे की पत्र​

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Answered by Shriwallabh7262
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225 नवोदय कॉलोनी

बरेली

12 सितंबर 2014

प्रिय अनन्य,

खुश रहो! यहाँ सब सकुशल हैं, आशा है तुम भी सकुशल होगे। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि परीक्षाओं के बाद छुट्टियों में तुम नाना जी के पास जाना चाहते हो। तुम्हारे मामा के विदेश चले जाने के बाद वे बिलकुल अकेले रह गए हैं। तुम्हारे जाने से उन्हें तो बेइंतहा ख़ुशी मिलेगी ही, तुम भी उन जैसे विद्वान व्यक्ति के अनुभवों से लाभान्वित हो सकोगे। उनका पुस्तकालय तो ज्ञान का वह भंडार है जिसमें देशी-विदेशी साहित्य के माणिक-मोती भरे हैं। इतनी कम उम्र में तुम्हारी कहानी को 'किशोर कहानी प्रतियोगिता' में प्रथम पुरस्कार मिल चुका है। तुममें एक श्रेष्ठ साहित्यकार होने के बीज हैं। देश-विदेश का श्रेष्ठ साहित्य पढकर तुम जान सकोगे कि किसी रचना की श्रेष्ठता किन बातों पर निर्भर करती है। भाषा शैली, कथ्य सभी की समझ बढेगी। पुस्तकें हमारे अवचेतन में कब और कैसे समा जाती हैं हम प्रकटतः जान नहीं पाते। एक अच्छा रचनाकार सदैव एक अच्छा पाठक रहा होता है। इससे न केवल हमारे विचारों, भावनाओं के क्षेत्र का विस्तार होता है, भाषा पर हमारी पकड भी मज़बूत होती है। जिस प्रकार किसान को अच्छी फ़सल पाने के लिए पहले धरती को मुलायम एकसार करके, बीज बोने होते हैं उसी प्रकार श्रेष्ठ लेखक बनने के लिए स्वाध्याय आवश्यक है। लेखक न भी बनो, तब भी पुस्तकें तुम्हारे व्यक्तित्व को निखारने में, जीवन की समझ बढ़ाने में, विवेकशील बनने में अत्यंत सहायक होती हैं। पुस्तकों का विशाल सागर हमें कुएँ के मेढ़क वाली स्थिति से निकाल कर विचारों के निस्सीय आकाश में उन्मुक्त उड़ान भरने वाला पंछी बना देता है।

आशा है तुम नाना के पुस्तकालय का भरपूर लाभ उठाओगे। वहाँ पहुँच कर मुझे पत्र लिखना। अपना ध्यान रखना। प्यार और आशीर्वाद सहित

Answered by therof234
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