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भारत माता की शोभा वृद्धि के लिए कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने किन -किन उपादानों का उपयोग किया है
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भारत माता की शोभा वृद्धि के लिए कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने किन -किन उपादानों का उपयोग किया है
भारत माता की शोभा वृद्धि के लिए कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अनेक उपादानों का प्रयोग किया है।
व्याख्या :
कवि ने भारत की कृषि व्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा है कि भारत के खेतों में सदैव हरियाली फैली रहती है और उसमें अनाज लहराता रहता है। भारत एक श्रमजीवी देश है जहां खेती ही कर्मयोगी जीवन का मुख्य आधार है। भारत की गंगा जमुना नदियों की जलधारा भारत के वैभव और संस्कृति का प्रतीक है। भारत के मुख पर हिमालय यूपी मुकुट सुशोभित है तो भारत माता के चरणों में अथाह सागर लहरा रहा है। भारत की भूमि सोना उगलती है, अर्थात यहां पर अनाज रूपी धन उगता है, जो भारत की समृद्ध परंपरा का प्रतीक है। गंगा नदी भारत माता के लिए हार के समान है, तो हिमालय भारत माता का मुकुट है। इस तरह भारत कवि निराला जी ने भारत के प्राकृतिक एवं भौगोलिक स्वरूप को भारत माता की शोभा वृद्धि के लिए उपादानों के रूप में प्रयुक्त किया है।