PAGEND.. DATE: 3००१ दवामान वाले एक गैर पर लगाए जाने वाले बल काआवेग क्या है जिसका वैग 12 से 200 तक परिवर्तित होता है और यह बल्ले से टकराने के बाद पारोमिक गति मे जाता है? वापस जा
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पहले वेग को समझें। यह एक निश्चित दिशा में स्थान-परिवर्तन की दर है। यह सदिष्ट राशि है और मीटर प्रति सेकंड, किलोमीटर प्रति घंटा, फूट प्रति सेकंड आदि इकाइयों में प्रदर्शित की जाती है। यदि दिशा का ध्यान नहीं रखा गया हो, तो यह गति कहलाती है, जो अदिष्ट राशि है। सामान्य बोल-चाल में, हम रेलगाड़ी की गति, मोटर कार की गति, दौड़ने की गति आदि का उल्लेख करते हैं।
गति समरूप हो, यह आवश्यक नहीं है। समय के साथ, यह क्रमिक रूप से घट-बढ़ सकती। यदि एक निश्चित दिशा में गति अर्थात् वेग का क्रमिक रूप से घटना या बढ़ना जारी रहा, तो वेग-परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। यदि धनात्मक है अर्थात् वेग का मान बढ़ रहा है, तो इसे त्वरण और घटने की स्थिति में ऋणात्मक त्वरण या मंदन कह सकते हैं। इसकी इकाई मीटर प्रति सेकंड प्रति सेकंड, किलोमीटर प्रति घंटा प्रति घंटा, फूट प्रति सेकंड प्रति सेकंड आदि होती है। त्वरण भी एक सदिष्ट राशि है।
बल वह बाहरी कारण है, जो किसी वस्तु के स्थान-परिवर्तन का कारण एवं सहायक होता है। बल लगा कर ही कोई कार्य किया जाता है, जैसे वजन उठाना, किसी चीज को ठेलना, खींचना, धकेलना आदि। कार्य की माप बल एवं दूरी के गुणनफल के तुल्य होता है। बल की माप, उक्त वस्तु की मात्रा एवं त्वरण के गुणनफल के तुल्य होता है। इसकी इकाई न्युटन (किलोग्राम मीटर प्रति सेकंड प्रति सेकंड) अथवा पाउंड होती है। मात्रा एवं भार में अंतर होता है।