पहाड़ किसके सामने प्रतीत हो रहा है? paath sham ek kisaan
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इसके रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं । शाम के समय सूर्य की लालिमा आकाश में फैल जाती है और पर्वत के शीर्ष को छूती प्रतीत होती है । इस दृश्य का वर्णन करने हेतु कवि ने पर्वत को किसान के रूप में चित्रित किया है, जिसके सिर पर आकाश रूपी साफ़ा बँधा हुआ है । वह सूरज की चिलम से कश खीच रहा है ।
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