Social Sciences, asked by alokkumar92114, 9 months ago

पहाड़ी क्षेत्र में मृदा अपरदन रोकने के उपाय नहीं हैं *

2 points

समोच्च जुताई

पाट्टीदार खेती

मेड या मेखला बनाना

खेत को सीढ़ी नुमा नहीं बनाया जाता

Answers

Answered by shivamkumar82352
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Answer:

हमारे देश में मृदा अपरदन के मुख्य कारण निम्नलिखित है:

- वृक्षों का अविवेकपूर्ण कटाव

- वानस्पतिक फैलाव का घटना

- वनों में आग लगना

- भूमि को बंजर/खाली छोड़कर जल व वायु अपरदन के लिये प्रेरित करना।

- मृदा अपरदन को त्वरित करने वाली फसलों को उगाना

- त्रुटिपूर्ण फसल चक्र अपनाना

- क्षेत्र ढलान की दिशा में कृषि कार्य करना।

- सिंचाई की त्रुटिपूर्ण विधियाँ अपनाना

मृदा अपरदन की प्रक्रियां

जब वर्षा जल की बूंदें अत्यधिक ऊंचाई से मृदा सतह पर गिरती है तो वे महीन मृदा कणों को मृदा पिंड से अलग कर देती है। ये अलग हुए मृदा कण जल प्रवाह द्वारा फिसलते या लुढ़कते हुए झरनों, नालों या नदियों तक चले जाते हैं। अपरदन प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

- मृदा कणों का ढीला होकर अलग होना (अपरदन)

- मृदा कणों का विभिन्न साधनों द्वारा अभिगमन (स्थानान्तरण)

- मृदा कणों का का जमाव (निपेक्ष)

मृदा पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जो कि जीवन बनाये रखने में सक्षम है। किसानों के लिये मृदा का बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि किसान इसी मृदा से प्रत्येक वर्ष स्वस्थ व अच्छी फसल की पैदावार पर आश्रित होते हैं। बहते हुए जल या वायु के प्रवाह द्वारा मृदा के पृथक्कीकरण तथा एक स्थान से दूसर स्थान तक स्थानान्तरण को ही मृदा अपरदन से प्रभावित लगभग 150 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफल है जिसमें से 69 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफल अपरदन की गंभीर स्थिति की श्रेणी में रखा गया है। मृदा की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ष अपरदन द्वारा लगभग 5334 मिलियन टन से भी अधिक क्षय हो रहा। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 57% भाग मृदा ह्रास के विभिन्न प्रक्ररों से ग्रस्त है। जिसका 45% जल अपरदन से तथा शेष 12% भाग वायु अपरदन से प्रभावित है। हिमाचल प्रदेश की मृदाओं में जल अपरदन एक प्रमुख समस्या है।

मृदा अपरदन के कारण

अपरदन के कारणों को जाने बिना अपरदन की प्रकियाओं व इसके स्थानान्तरण की समस्या को समझना मुशिकल है। मृदा अपरदन के कारणों को जैविक व अजैविक कारणों में बांटा जा सकता है। किसी दी गई परिस्थति में एक यह दो कारण प्रभावी हो सकते हैं परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि दोनों कारण साथ-साथ प्रभावी हों। अजैविक कारणों में जल व वायु प्रधान घटक है जबकि बढ़ती मानवीय गतिविधियों को जैविक कारणों में प्रधान माना गया है जो मृदा अपरदन को त्वरित करता है।

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