पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के साधन सीमित क्यों हैं
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पहाड़ को लेकर ही उत्त्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया। राज्य बनने के 16 वर्षों बाद भी पहाड़ी क्षेत्र उपेक्षित है। पहाड़ों से रोजगार के अभाव में पलायन जारी है। पर्वतीय राज्य में पहाड़ी क्षेत्र हाशिए पर है। गांवों में न तो रोजगार के साधन हैं और न ही कृषि करने को बुनियादी जरूरतें। आज भी खेत आसमान पर निर्भर हैं तो मजदूरी तक नहीं मिल रही है। पर्वतीय क्षेत्र में सबसे बदहाल शिक्षा और चिकित्सा है। बीमार होने पर दो सौ किमी दूर मैदान में पहुंच कर उपचार मिलता है। सरकार के सारे दावों की पहाड़ पहुंचने तक हवा निकल जाती है। इसी बात को सोमवार को जोग्यूड़ा थल में दैनिक जागरण की चौपाल मौजूद ग्रामीणों ,मजदूरों, महिलाओं , शिक्षकों ने अपनी बात बेबाक से बात रखी। लोगों का कहना था कि जब तक पहाड़ तक विकास नहीं पहुंचता है तब तक राज्य खुशहाल नहीं हो सकता है।
पहाड़ों में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। रोजगार के नाम पर गिनी , चुनी नौकरियां हैं जो मिलती नहीं हैं। युवा और बेरोजगार दर -दर भटक रहे हैं। पहाड़ में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है। सरकार ऐसी होनी चाहिए जो शिक्षा के स्तर में सुधार लाए और पहाड़ तक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए।
रमा जोशी, शिक्षाविद्
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