पहाड़ की विधियां किसे प्रकार को वृक्ष से लदी हुई थी
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जो काम सरकार और वन विभाग नहीं कर पाया वह लोगों ने कर दिखाया। उन्होंने पहाड़ पर उजड़ और सूख चुके जंगल को फिर हरा-भरा कर लिया और वहां के सूख चुके जलस्रोतों को फिर सदानीरा बना लिया। यह गांव अब पारिस्थितिकी वापसी का अनुपम उदाहरण बन गया है।
और यह है उत्तराखंड की हेंवलघाटी का जड़धार गांव। सीढ़ीदार पहाड़ पर बसे लोगों का जीवन कठिन है। अगर पहाड़ी गांव के आसपास पानी न हो तो जीवन ही असंभव है। और शायद इसी अहसास ने उन्हें अपने पहाड़ पर उजड़े जंगल को फिर से पुनर्जीवित करने को प्रेरित किया। यह ग्रामीणों की व्यक्तिगत पहल और सामूहिक प्रयास का नतीजा है। अब यह प्रेरणा का प्रतीक बन गया है।
हाल ही मुझे इस सुंदर जंगल को देखने का मौका मिला। जंगल और पहाड़ को नजदीक से देखने का आनंद ही अलग होता है। ये हमें आज के भागमभाग और तनावपूर्ण माहौल में सदा आकर्षित करते हैं। जहां एक तरफ देश के अन्य इलाके में जंगल कम हुए हैं, उत्तराखंड इसका अपवाद कहा जा सकता है।
पिछले दिनों चिपको आंदोलन से जुड़े रहे और इसी गांव के निवासी विजय जड़धारी के साथ इस जंगल को देखने गया था। पारंपरिक खेती, जंगल, नदी और पर्यावरण पर उनकी जानकारी व ज्ञान विस्तृत है। उन्होंने अपने अनुभव व पारंपरिक ज्ञान के आधार पर कई किताबें लिखी हैं, जिनकी सराहना अकादमिक दुनिया में भी हुई है।