पहले अंश के किन शब्दों से पता चलता है कि कवि खाली नहीं बैठे रहना चाहता?
Answers
Answer:
नव शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
उत्तर: इन पंक्तियों में ये संदेश दिया गया है कि सफलता के नशे में चूर होकर ईश्वर को भूलना नहीं चाहिए। हर उस व्यक्ति को याद रखना चाहिए जिसने आपको सफल बनाने में थोड़ा भी योगदान दिया हो।
हानि उठानी पड़े जगत में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में मानूँ न क्षय।
उत्तर: लाभ की जगह कभी हानि भी हो जाए तो भी मन में अफसोस नहीं होना चाहिए। नफा नुकसान जिंदगी में लगे ही रहते हैं। जरूरी नहीं कि हर वक्त किसी को लाभ ही हो। हानि के समय भी हिम्मत न टूटे ऐसा ईश्वर से विनती है।
तरने की हो शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
उत्तर: कवि ये नहीं चाहता है कि भगवान उसकी जिम्मेदारियों को कम कर दें। बल्कि वह तो ये चाहता है कि भगवान उसमें उन जिम्मेदारियों को उठाने की भरपूर शक्ति दे दें।इस पंक्ति में कवि ने यह बताया है कि वह ये नहीं चाहता कि भगवान आकर उसकी मदद करें। वह भगवान को किसी भी काम के लिए परेशान नहीं करना चाहता अपितु स्वयं हर चीज का सामना करना चाहता है।
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प्रस्तुत गढ़ कांडा हमारे पाठ चपुरस्तुक हिंदी के तोले पर हेमलय नमक पाठ से लिया गया हा