पहली इकाई
१. भारत महिमा
परिचय
हिमालय के आँगन में उसे, किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया, और पहनाया हीरक हार ।
जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योमतम पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक ।
जन्म १८९०, वाराणसी (उ.प्र.)
मृत्यु १९३७, वाराणसी (उ.प्र.)
परिचय जयशंकर प्रसाद जी
छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक
हैं। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी है
कवि, नाटककार,
उपन्यासकार तथा निबंधकार के रूप
आप प्रसिद्ध है। आपकी रचनाओं
सर्वत्र भारत के गौरवशाली अर्ज
ऐतिहासिक विरासत के दर्शन होते
प्रमुख कृतियाँ : 'झरना', '
विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम संगीत । ......
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
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Ye tho question hee nahi hai!
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