पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि 'ये धागे । क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें यो; । मुठो मेरे पाँवों पर छोड़ दो।'- तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि 'ये के जाता है। कठपुतली शब्द काठ और पुतली रोश जैसे-काठ (कठ) से
• उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
• उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
• यह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बन
रखने के उपाय सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
इच्छा/ मेरे मन में जगी?' नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचा
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Answer:
Explanation:
पहली कठपुतली को दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी। उसे लगता है कि कहीं उसका उठाया गया कदम सब को मुसीबत में न डाल दे। वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
वह सोचने लगी कि क्या स्वतंत्र होकर सब खुश रह पाएंगी? क्या वह मनचाहा जीवन जी पाएंगी ? क्या उनका यह कदम ठीक होगा?
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Answer:
Question 1:
कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
Answer:
कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि वो धागे में बंधी हुई पराधीन है और वह स्वतंत्रता की इच्छा रखती है।
Question 2:
कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?
Answer:
कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है लेकिन वह खड़ी नहीं होती कयोंकि वह धागे से बंधी हुई होती है, उसके अन्दर स्वतंत्रता के लिए लड़ने की क्षमता नहीं है और अपने पैरो पर खड़े होने की शक्ति भी नहीं है।
Question 3:
पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी ?
Answer:
पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को अच्छी लगी क्योंकि पहली कठपुतली स्वतंत्र होने की बात कर रही थी और दूसरी कठपुतलियाँ भी बंधन से मुक्त होकर आज़ाद होना चाहती थीं।
Question 4:
पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/इन्हें तोड़ दो;/मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा/मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए-
•उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
•उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
•वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
•वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
Answers....
पहली कठपुतली ने अपनी इच्छा तो व्यक्त कर दी कि मुझे स्वतंत्र होना है। लेकिन बाद में उसे अपनी ज़िम्मेदारी महसूस होती है कि स्वतंत्र होने की क्षमता उसमें नहीं है। अकेले स्वतंत्र होना एक अलग बात है तथा दूसरों को भी स्वतंत्र करवाना एक अलग बात है। उसे लगा उसकी उम्र अभी इतनी नहीं है कि वो सबकी ज़िम्मेदारी उठा सके।