Hindi, asked by jyotiadil02, 3 months ago

पहलवान की ढोलक पाठ का संदेश यह भी है कि लोक कलाओ को संरक्षण दिया जाना चाहिए अपने विचार व्यक्त कीजिए​

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Answered by shishir303
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¿ पहलवान की ढोलक पाठ का संदेश यह भी है कि लोक कलाओ को संरक्षण दिया जाना चाहिए। अपने विचार व्यक्त कीजिए​।

✎... ‘पहलवान की ढोलक’ पाठ में जहाँ यह संदेश है कि व्यवस्था बदलने के साथ-साथ लोक कलाओं और इसस संबंधित कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने से उनकी दुगर्ति हो जाती है, वहीं इस कथा के माध्यम से यह संदेश देने का भी प्रश्न किया गया है कि लोक कलाओं को संरक्षण दिया जाना चाहिए ताकि लुट्टन पहलवान जैसे किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में इतनी तकलीफों का सामना ना करना पड़े।

पहलवान लुट्टन जो कुश्ती जैसी कला के बल पर ही अपनी आजीविका चलाता था और राजा का प्रिय पात्र बनकर राजा के दरबार में अपना जीवन सुख पूर्वक बिता रहा था। राजा की मृत्यु के बाद राजा के बेटे द्वारा कुश्ती प्रिय ना होने के कारण उसे राजदरबार छोड़ना पड़ा और उसके भूखों मरने की नौबत आ गई। इसका कारण यह रहा क्योंकि उसकी कला समय के साथ अप्रासंगिक नहीं रह गई थी। यदि उसकी कुश्ती जैसी कला के साथ-साथ गाँव की अन्य लोक कलाओं को भी समय रहते संरक्षण दिया जाता रहे, तो लोट्टन पहलवान जैसे कलाकार को अपने जीवन के अंतिम चरणों में इतने कष्ट का सामना ना करना पड़े। इसलिए हमारे गाँवों की लोक कलाओं को संरक्षित किया जाना चाहिये जिससे इनसे जुड़े कलाकारों की जीवन संकट में न पड़े। ये लोक कलाएं ग्रामीण भारत की आत्मा है।

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संबंधित कुछ और प्रश्न —▼

पहलवान लुट्टन सिंह को राजा साहब की कृपा-दृष्टि कब प्राप्त हुई ? वह उन सुविधाओं से वंचित कैसे हो गया ? 'पहलवान की ढोलक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। लगभग 80-100 शब्दों में लिखिए।

https://brainly.in/question/12998506

लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?

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