पहलवान की ढोलक पाठ से शिक्षा
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प्रतिदिन प्रात:काल पहलवान स्वयं ढोलक बजा-बजाकर दोनों से कसरत करवाता। दोपहर में, लेटे-लेटे दोनों को सांसारिक ज्ञान की भी शिक्षा देता-“समझे! ढोलक की आवाज पर पूरा ध्यान देना।
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