पक्षी के बारे में एक छोटी कहानी
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जंगल में एक ऊँचे पेड़ पर एक अबाबील पक्षी रहता था. उसके पंख रंग-बिरंगे और सुंदर थे, जिस पर उसे बड़ा घमंड था. वह ख़ुद को दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी समझता था. इस कारण हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता था.
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में घने वृक्ष की शाखा में घोंसला बनाकर गौरैया (Sparrow) का जोड़ा रहा करता था. वर्षों से वे वहाँ सुख का जीवन व्यतीत कर रहे थे
ठंड का मौसम था. गौरैया का जोड़ा अपने घोंसलें में बैठा आराम कर रहा था. तभी अचानक ठंडी हवा के साथ बारिश प्रारंभ हो गई.
ऐसे में कहीं से एक बंदर (Monkey) आया और उस डाल पर बैठ गया, जहाँ गौरैया के जोड़ों का घोंसला (Nest) था. बंदर ठंड से ठिठुर रहा था. ठिठुरन के कारण उसके दांत किटकिटा रहे थे.
बंदर के दांतों की किटकिटाहट सुन गौरैया ने अपने घोंसलें से बाहर झांककर देखा. बंदर को बारिश में भीगता देख वह स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पाई और पूछ बैठी, “कौन हो तुम? इतनी बारिश में यहाँ इस डाल पर क्या कर रहे हो? क्या तुम्हारा कोई घर नहीं?
गौरैया की बात सुन बंदर (Monkey) चिढ़ गया. किंतु उस समय वह किसी बात का उत्तर नहीं देना चाहता था. वह चुप रहा.
बंदर को चुप देख गौरैया (Sparrow) का हौसला बढ़ गया और लगी वह अपनी सलाह देने, “लगता है तुम्हारा कोई घर नहीं. तभी इस बरसात में भीग रहे हो. तुम्हारा चेहरा तो मानव जैसा है. शरीर से भी हृष्ट-पुष्ट लगते हो. ऐसे में अपना घर बनाकर क्यों नहीं रहते? अपना घर न बनाना मूर्खता है. उसका फल देखो, तुम बारिश में बैठे ठिठुर रहे हो और हमें देखो, हम सुख से अपने घोंसले में बैठे है.”
ये सुनना था कि बंदर क्रोध में लाल-पीला हो गया. उसने गौरैया के घोंसले को तोड़ दिया. मूर्ख को परामर्श देने का फल गौरैया को मिल गया था.
सीख (Moral of the Monkey And Bird Story)
परामर्श उसे दो, जिसे वास्तव में उसकी आवश्यकता हो. वह उसका मूल्य समझेगा. मूर्ख को परामर्श देने पर हो सकता है, उसके दुष्परिणाम भोगने पड़े.
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